बड़ीखबर: कुमारस्वामी ही बनेंगे कर्नाटक के किंग, 23 मई को लेंगे मुख्यमंत्री पद की शपथ…

नई दिल्ली। कर्नाटक विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते सरकार बनाने का मौका मिलने के बावजूद भाजपा बहुमत का जादुई आंकड़ा छूने में नाकाम रही है। इसके बाद मुख्यमंत्री बीएस येद्दयुरप्पा ने शनिवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इस तरह अपने तीसरे कार्यकाल में वे महज 55 घंटे ही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रह पाए।बड़ीखबर: कुमारस्वामी ही बनेंगे कर्नाटक के किंग, 23 मई को लेंगे मुख्यमंत्री पद की शपथ...

इससे पहले भी वे दो बार अपना कार्यकाल पूरा करने में नाकाम रहे हैं। अब कांग्रेस-जदएस गठबंधन के नेता एचडी कुमारस्वामी कर्नाटक के अगले मुख्यमंत्री होंगे। उनको 23 मई को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई जाएगी। राज्यपाल वजुभाई वाला ने उनको सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करते हुए बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय दिया है।

शनिवार को विधानसभा सत्र में येद्दयुरप्पा ने विश्वास मत पेश तो किया, लेकिन उस पर मतदान से पहले ही त्यागपत्र का एलान कर दिया। इससे पहले करीब 20 मिनट तक उन्होंने भावुक भाषण दिया। इसमें उन्होंने कर्नाटक के विकास के लिए पूरी जिंदगी काम करने का वादा किया और यह भरोसा भी जताया कि अगले चुनाव में भाजपा 150 का आंकड़ा हासिल करेगी।

संख्या बल नहीं जुटा पाने की बेचैनी दोपहर बाद भाजपा खेमे में दिखने लगी थी। अस्थायी अध्यक्ष द्वारा सभी विधायकों को शपथ दिलाने और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक चार बजे शक्ति परीक्षण के पहले येद्दयुरप्पा ने अपना भाषण शुरू किया। उन्होंने जिस तरह से कर्नाटक में किसानों की आत्महत्या, पानी की समस्या और विकास की बात शुरू की और इसके लिए पूरी जिंदगी लड़ने का एलान किया, उससे साफ हो गया कि बहुमत के आंकड़े तक पहुंचने में वे विफल रहे हैं। इसके बाद उन्होंने राजभवन जाकर त्यागपत्र दे दिया।

विधानसभा के गणित को देखते हुए कुमारस्वामी के लिए बहुमत साबित करना मुश्किल काम नहीं होगा। हालांकि, उनके सामने गठबंधन को एकजुट रखने की चुनौती होगी। कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता जदएस के साथ गठबंधन पर सार्वजनिक तौर पर सवाल उठा चुके हैं। विधानसभा चुनाव भी दोनों दलों ने एक-दूसरे के खिलाफ लड़ा था।

मोदी-शाह ने बनाए रखी थी दूरी

 इस्तीफे से पहले येद्दयुरप्पा ने भले ही खुद पर भरोसे के लिए पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को धन्यवाद दिया, लेकिन हकीकत यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह दोनों को ही उनके दावे पर सौ फीसद भरोसा नहीं था। यही कारण है कि चुनाव परिणाम के दिन सबसे बड़ी पार्टी के रूप में भाजपा के सामने आने पर कर्नाटक की जनता को आभार जताने के अलावा दोनों ने पूरे मामले से दूरी बनाए रखी। सूत्र बताते हैं कि येद्दयुरप्पा को संदेश दे दिया गया था कि अनैतिक कदम न उठाए जाएं। मुख्यमंत्री के रूप में येद्दयुरप्पा के शपथग्रहण में भी पार्टी के किसी वरिष्ठ नेता को नहीं भेजा गया और उन्हें अकेले ही शपथ लेनी पड़ी।

 

सुप्रीम कोर्ट ने गड़बड़ाया गणित

 -येद्दयुरप्पा ने यह संदेश देने की कोशिश की कि सबसे बड़े लिंगायत नेता के रूप में विपक्ष के कई विधायक उनके समर्थन को तैयार हैं।

-बहुमत साबित करने के लिए राज्यपाल से 15 दिन का समय मिलने के बाद येद्दयुरप्पा के दावे पर यकीन भी होने लगा था।

-सुप्रीम कोर्ट ने उनका सारा गणित गड़बड़ा दिया। अदालत ने उन्हें एक दिन में विश्वास मत हासिल करने का निर्देश दिया।

-कांग्रेस और जदएस ने अपने विधायकों को इस कदर सुरक्षित कर लिया कि उनके टूटने की कोई आशंका ही नहीं बची।

येद्दयुरप्पा के तीन अधूरे कार्यकाल

1. मात्र सात दिन : 12 नवंबर, 2007 से 19 नवंबर, 2007 तक

2. तीन साल 62 दिन : 30 मई, 2008 से 31 जुलाई, 2011 तक

3. मात्र दो दिन : 17 मई, 2018 से 19 मई, 2018 तक

विधानसभा में दलीय स्थिति

कुल सीटें -224

सीटों पर हुए चुनाव- 222 

भाजपा को मिली सीटें-104

कांग्रेस 78 + जदएस 38, कुल 115

(कुमारस्वामी दो सीटों से जीते हैं, इसलिए एक माना जाएगा)

निर्दलीय – 02

इसलिए बदली शपथ की तारीख

कुमारस्वामी ने पहले शपथ लेने की तारीख 21 मई बताई थी, लेकिन बाद में कहा कि नई सरकार 23 मई को शपथ लेगी। जदएस के एक नेता ने कहा कि 21 मई पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का शहादत दिवस है। इसलिए शपथ ग्रहण की तारीख दो दिन आगे बढ़ाई गई है। कुमारस्वामी ने कहा कि उन्होंने शपथ ग्रहण समारोह के लिए संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बसपा प्रमुख मायावती समेत अनेक नेताओं को आमंत्रित किया है।

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