जाने क्यों गोकुल और मथुरा में अलग-अलग दिन मनाई जाती है जन्माष्टमी…

जन्माष्टमी को लेकर अक्सर कई तारीखें सामने आती हैं. इस बार भी कुछ ऐसा ही हो रहा है. यह भी एक दिलचस्प तथ्य है कि मथुरा और कृष्ण के गांव गोकुल में भी जन्माष्टमी को लेकर एक राय नहीं हैं. मथुरा और गोकुल में अलग-अलग दिन कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है.  प्रचलित मान्यता के मुताबिक  भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को कृष्ण जन्मोपलक्ष्य में जन्माष्टमी पर्व मनाया जाता है.

विद्वानों के अनुसार वैष्णवों द्वारा भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि में सूर्यादय होने के अनुसार ही कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है. वहीं नन्दगांव में श्रावण मास की पूर्णमासी के दिन से आठवें दिन ही जन्माष्टमी मनाने की प्रथा चली आ रही है.  हालांकि इस परंपरा के पीछे क्या कारण है और दोनों जगहों में समय का अंतर क्यों है इस पर कोई साफ मत पता नहीं चल पाया है.

इस तरह इन तिथियों के अनुसार मथुरा में 12 और गोकुल में 11 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी. इस बार कोरोना काल में जन्माष्टमी पड़ रही है. जिसकी वजह से इस बार जन्माष्टमी पर धूमधाम पिछले वर्षों के मुकाबले कम नजर आएगी. कोरोना संकट की वजह से इस बार नंद गांव में सैकड़ों वर्षों से चली आ रही ‘खुशी के लड्डू’ बांटे जाने की परम्परा भी नहीं निभाई जाएगी.मथुरा के मंदिरों में भी प्रसाद नहीं बांटा जाएगा. मंदिरों में सोशल डिस्टैंसिंग का कड़ाई का पालन किया जाएगा.

पूजा की विधि
पूजा से पहले स्नान जरूर करें. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा का विधान है. पूजा करने से पहले भगवान को पंचामृत और गंगाजल से स्नान जरूर करवाएं. स्नान के बाद भगवान को वस्त्र पहनाएं. ध्यान रहें कि वस्त्र नए हो. इसके बाद उनका श्रृंगार करें. भगवान को फिर भोग लगाएं और कृष्ण आरती गाएं.

वस्त्र खरीदते समय ध्यान दें
आपको ध्यान देना है कि भगवान कृष्ण के लिए आपने जो वस्त्र खरीदे हैं वो नए ही हो. अक्सर दुकानदार पुराने कपड़ों को ही नया बताकर बेच देते हैं. इस बात का आपको जरूर ध्यान रखना

Back to top button