ऐसी मान्यता है जब हनुमान जी माता अंजनि के पेट से पैदा हुए जब उन्हें जोर की भूख लग गई थी। तब उन्होंने सूर्य को फल समझ कर खाने के लिए दौड़े तभी उसी दिन राहू भी सूर्य को अपना ग्रास बनाने के लिए आया हुआ था लेकिन हनुमान जी को देखकर उन्होंने इसे दूसरा राहु समझ लिया। इस दिन चैत्र माह की पूर्णिमा होने से इस तिथि को हनुमान जयंती के रुप में मनाया जाता है।