दिल की बात दिल में रखनी फायदेमंद हैं या नुकसानदेह?

कहो तो दिल हल्का होता है। कहो तो दिल पर बोझ भी बढ़ता है कि कहीं मैंने जो बात सहेली से कह दी, वह कहीं किसी और को न कह दे। मन में एक द्वंद्व चलता रहता है, आखिर करीब के लोगों को भी कितना बताएं और कितना छिपा लें?दिल की बात दिल में रखनी फायदेमंद हैं या नुकसानदेह?

दिल है तो राज भी हैं। राज हैं तो उसे छिपाकर रखना भी जरूरी है। लेकिन छिपाकर रखो, तो लगता है दिल पर कोई बोझ है, किसी को बता दें तो मन हल्का हो जाए। फिर सवाल भी उठता है, अगर बात फैल गई तो…? अब रश्मि (बदला हुआ नाम) को देखिए!

उनकी शादी को दो साल हो गए थे। पहले तो सब कुछ ठीक था, लेकिन कुछ समय से उन्हें लग रहा था कि सब कुछ बदल गया है। फोन पर पति को लगातार बातें करते देख मन में चिंता होने लगी। कहीं कोई चक्कर तो नहीं? दिल पर बोझ बढ़ने लगा। उन्होंने अपने दिल की बात अपनी सहेली सोनम को बता दी। रश्मि ने अपने दिल की बात सोनम से कह तो दी और कुछ समय के लिए उसका दिल हल्का भी हो गया। लेकिन अब वह काफी परेशान हैं कि अगर सहेली ने यह बात किसी को बता दी, तो क्या होगा? यह बात मेरे पति को पता चल गई, तो क्या होगा? वह मेरे बारे में क्या सोचेंगे?

एक ऐसी सहेली, जिसके साथ आप बड़े हुए, साथ खेले और बचपन से ही जिनसे सुख-दुख की कोई बात छिपी नहीं, फिर भी शादी के बाद यह बताते हुए मन का बोझ बढ़ गया।

यह बात बहुत सहज है कि जब आप किसी को अपना सच्चा दोस्त बनाती हैं, तो उसके साथ छोटी बड़ी सभी बातें साझा करती हैं। और आपकी सहेली भी किसी बात को लेकर आपसे कोई सवाल नहीं करती और न ही आपको जज करती है। वह हंसते-मुस्कुराते आपकी बातों को सुन लेती है। लेकिन इन सब चीजों को लेकर आपको सचेत रहने की भी जरूरत है। क्या सहेली पर इतना विश्वास करना सही है?

हम अपने दिल की बातें, अपनों को इसलिए बताते हैं, ताकि मन हल्का कर सकें। लेकिन कितना बताएं और कितना छिपा लें, यह सवाल महत्वपूर्ण है। खासकर एक ऐसे परिवेश में जब परिवार लगातार छोटे हो रहे हों। परिवार में सदस्यों की संख्या कम हो, तो संवेदनशील मामलों में सावधानी भी जरूरी है।

कई बार इसका भारी नुकसान आपको झेलना पड़ सकता है। इसलिए जरूरी है कि कुछ बातों को अपनी सहेलियों से भी छिपाकर रखा जाए। लेकिन इसका मतलब ऐसा कतई नहीं है कि सहेलियों से दूरी बना लें। मनोवैज्ञानिक कहते हैं, ‘दोस्ती का माहौल जिंदगी में सकारात्मक रूख लाता है। दोस्ती के बीच पूर्ण विश्वास जरूरी है। इससे रिश्ते मजबूत होते हैं। लेकिन, फिर भी कुछ चीजों को दूसरों के सामने न ही खोलें, तो बेहतर…।’

निजी परेशानी

अपनी निजी परेशानियां अपनी सहेलियों को न बताएं। यह जरूरी नहीं है कि इससे आपको मदद भी मिले। हां, कभी-कभी परेशानी बढ़ सकती है। संभव है, जाने-अनजाने में आपकी सहेली किसी और से इसकी चर्चा कर दे। या कहीं आपके घर वालों को बता दे। लोगों को मसाला चाहिए होता है और फिर बात को फैलते देर नहीं लगती।

आर्थिक स्थिति

वह आपकी कितनी भी अच्छी सहेली क्यों न हो, लेकिन अपनी आर्थिक स्थिति अपनी सहेली को ना बताएं। हो सकता है कि इससे आप दोनों के रिश्ते में दूरी आ जाए। आज इंसान के स्टेट्स को बहुत महत्व दिया जाता है। अगर आपके घर की आर्थिक स्थिति खराब है, तो हो सकता है कि कई बार अनजाने में ही वह आपको इस बात का अहसास कराए। फिर दूरियां बढ़ेंगी।

परिवार से जुड़े मुद्दे

परिवार में कई तरह की चीजें चलती-रहती हैं। माता-पिता, दादा-दादी या पति-पत्नी के बीच भी कई बार बहुत विवाद होते हैं। जिसे बाहर किसी को बताना जरूरी नहीं। इस तरह के विवादों को खुद से सुलझाने की जरूरत होती है।

अपने परिवार से जुड़े विवादों केे बारे में अगर आपने अपनी किसी सहेली को बताया, तो हो सकता है कि यह बात अापके परिवार तक पहुंच जाए, जिसका नुकसान आपको ही होगा। इसलिए इस तरह की बातों को अपने या अपने सबसे विश्वास वाले व्यक्ति को ही बताएं।

प्यार का मामला

अगर आप किसी लड़के से प्यार करती हैं, तो यह बात किसी को न बताएं। बेशक वह आपकी कितनी भी अच्छी दोस्त क्यों न हो। प्यार को तमाशा बनते देर नहीं लगती। कई बार प्यार का परिणाम शादी नहीं होता, अपने प्यार के सम्मान की रक्षा खुद करें।

खुशियां बढ़ेंगी, दुख घटेगा

खुशियां बांटने से बढ़ती हैं। दुख बांटने से घटता है। खुशियों को अपने दोस्तों के साथ जरूर बांटना चाहिए। परिवार और बच्चों से जुड़े कई ऐसे पल, जो आपको अच्छा अहसास कराते हैं, उन्हें आपको अपने दोस्तों के साथ जरूर साझा करना चाहिए। हर किसी के जीवन में कई तरह के उतार-चढ़ाव आते हैं। कुछ परेशानियां अगर आप अपने दोस्तों से साझा करती हैं, तो इससे आपका मन हल्का हो सकता है। अपने बच्चों के साथ पढ़ाई-लिखाई या खान-पान संबंधी बातों को अपनी सहेलियों से कह सकती हैं, जिससे वे आपको कोई बेहतर सुझाव दे सकें।

रिश्ता चाहे कोई भी हो, लेकिन उसमें सबसे जरूरी चीज है, विश्वास। विश्वास के भरोसे ही आप अपनों या दोस्तों को अपने राज या दिल की कोई बात बताते हैं। दोस्त होने भी जरूरी हैं और ऐसा भी नहीं है कि आप अपने दिल की बात किसी को न बताएं। लेकिन अपने राज या कोई बात किसी दूसरे व्यक्ति को तब ही बताएं, जब आप उस पर विश्वास करती हों। किसी को अपने राज या कुछ अहम बातें बताने के लिए विश्वास सबसे अहम चीज है, जो धीरे-धीरे विकसित होता है।

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