कर्नाटकः तीन विधायकों के गायब होने से कांग्रेस कैंप में मचा हडकंप…

कर्नाटक में भाजपा के येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने के बाद जनता दल एस और कांग्रेस खेमे में चिंता की लहर दौड़ गई है। खासतौर पर इसलिए भी कि उनके तीन विधायक अभी तक उनके संपर्क से बाहर हैं।कर्नाटकः तीन विधायकों के गायब होने से कांग्रेस कैंप में मचा हडकंप...

सरकार की पागडोर भाजपा के हाथों में आते ही ईगलटन रिसॉर्ट के बाहर से सुरक्षा बल हटा लिए गए हैं। यह वही रिसॉर्ट है जहां कांग्रेस और जद एस के अधिकतर विधायकों को ठहराया गया है। कांग्रेस के विधायक आनंद सिंह, प्रतापगौड़ा पाटिल और नागेंद्र, न सिर्फ ईगलटन रिसॉर्ट नहीं पहुंचे हैं बल्कि वे कांग्रेस और जद एस नेताओं के संपर्क से भी बाहर हैं। जद एस नेता एचडी कुमारस्वामी ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के माध्यम से आनंद सिंह पर भाजपा का समर्थन करने का दबाव बना रही है।

यही वजह है कि ये दोनों दल शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं। यदि उन्हें कांग्रेस-जदएस को कोर्ट से राहत नहीं मिलती है तो वे अपने विधायकों को कर्नाटक से बाहर भेज सकते हैं जिससे भाजपा उनसे संपर्क न कर पाए। उनके संभावित गंतव्यों में वाम दलों की सरकार वाला केरल या कांग्रेस शासित पंजाब शामिल हैं।

इस बीच विपक्षी दलों के उनके मित्रों ने कांग्रेस-जद एस के पक्ष में लॉबीइंग शुरू कर दी है। अखिल भारतीय ऐंग्लो इंडियन एसोसिएशन ने कर्नाटक के राज्यपाल वजूभाई बाला को एक चिट्ठी लिखकर येदियुरप्पा को बहुमत साबित होने तक किसी ऐंग्लो इंडियन को विधानसभा में मनोनीत न किया जाए।

संविधान के अनुच्छेद 333 के मुताबिक कर्नाटक के राज्यपाल एंग्लो इंडियन समुदाय के एक सदस्य को वहां की विधानसभा में नामित कर सकते हैं। लेकिन एसोसिएशन के अध्यक्ष बैरी ओ ब्रायन ने राज्यपाल से आग्रह किया है कि अगर भाजपा किसी ऐंग्लो इंडियन को सदन में नामित करती है तो वे इसे न मानें क्योंकि बहुमत सिद्ध करने से पहले उसे नामित करने का संवैधानिक अधिकार नहीं है। इससे सदन का गणित बिगड़ जाएगा।

इसी तरह कांग्रेस ने गोवा, मणिपुर और मेघालय में कर्नाटक के फार्मूले को लागू कर सबसे बड़े दल होने के नाते सरकार बनाने के निमंत्रण की मांग की है। उसका दावा है कि येदियुरप्पा की तरह पंद्रह दिन के भीतर वह भी अपना बहुमत सिद्ध कर देगी। 

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