बिहार उपचुनाव में जारी है जुबानी जंग, विकास बना हुआ है मुद्दा

बिहार की एक लोकसभा और दो विधानसभा सीटों के उपचुनाव में बिसातें बिछ चुकी हैं। मोहरे सजा दिए गए हैं और शह-मात का खेल शुरू हो चुका है। 2015 में हुए विधानसभा चुनाव के तकरीबन तीन साल बाद बिहार में उपचुनाव हो रहा है। इन तीन वर्षों के अंदर बिहार की राजनीति में बड़े बदलाव हुए। जो कल तक दोस्त थे, अब दुश्मन की तरह आमने सामने हैं। जाहिर है दोस्त बदले हैं तो मुद्दे और प्रतिबद्धताएं भी बदली हैं।

बिहार उपचुनाव में जारी है जुबानी जंग, विकास बना हुआ है मुद्दा

अपने ही तरह की लड़ रहे लड़ाई

पिछले चुनाव की भांति मुद्दा जातिगत राजनीति और विकास नहीं रहकर भ्रष्टाचार बनाम विकास हो गया है। उपचुनाव में राजग और राजद गठबंधन चुनावी जंग जीतने के लिए अपने ही तरह की लड़ाई लड़ रहे हैं। एनडीए नेता अपनी चुनावी सभाओं में राज्य में पिछले 13 सालों में किए गए न्याय के साथ विकास और समाज सुधार के कार्यो के साथ जनता के बीच जा रहे हैं तो दूसरी ओर राजद गठबंधन सरकार और उसके सहयोगियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर हमलावर है।

सृजन से लेकर शौचालय तक की चर्चा

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव अपनी चुनावी सभाओं में राजग गठबंधन पर देश तोडऩे के आरोप तो लगा ही रहे हैं। वे यह बताने से नहीं चूकते कि भाजपा-आरएसएस इस देश से आरक्षण समाप्त करने की साजिश में लगे हैं। वे हाल ही में हुए शौचालय, सृजन घोटाले को लेकर सरकार पर हमलावर होते हैं और अपने पिता लालू यादव के भ्रष्टाचार के मामले में जेल जाने को लेकर राजग की साजिश करार देते हैं। वे 2015 के जनादेश के अपमान का आरोप भी लगाते हैं। 

दागी विधायकों पर भी जबर्दस्त प्रहार

भाजपा नेता मंगल पांडेय तेजस्वी को उन्हीं के अंदाज में जवाब देते हैं। कहते हैं विपक्ष के पास कोई मुद्दा ही नहीं। बिहार से लेकर दूसरे भाजपा शासित राज्यों में विकास बोल रहा है। चुनावी सभाओं में जदयू-भाजपा के नेता यह दोहराना नहीं भूलते कि राजद के लोग अखबार की कतरनें लेकर घूम रहे हैं, लेकिन वह भूल जाते हैं कि कतरनें सच्चाई नहीं बदलतीं। सच्चाई यह है कि राजद के 80 में से 46 विधायक दागी हैं।

बदलते शहर गांव का दिया जा रहा हवाला

नित्यानंद राय चुनावी सभाओं में जनता को यह बताने की कोशिश करते हैं कि उपचुनाव में दो शक्तियां आमने-सामने हैं। एक शक्ति विकास की है जो गांव की सूरत बदलने में लगी है तो दूसरी ओर परिवारवाद की मानसिकता से ग्रसित विनाश की शक्ति भी जोर-आजमाइश कर रही है। वे अपने भाषणों में केंद्र व राज्य सरकार की उपलब्धियों की चर्चा करते हुए चहुंमुखी विकास की तस्वीर दिखाते हैं।

बहरहाल चुनाव को लेकर जारी जुबानी जंग के परिणाम क्या होते हैं यह तो भविष्य के गर्भ में है। बिहार की जनता दोनों गठबंधनों की बात सुन रही हैं। देखना यह है कि आखिरी फैसला जनता किसके हक में देगी।

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