J&K: गैंगवॉर में मारा गया हिजबुल आतंकी? लाश मिलने के बाद भड़की हिंसा

photo6_1442639990बारामूला: उत्तरी कश्मीर के तंगमार्ग में शनिवार सुबह हिजबुल मुजाहिदीन के एक आतंकी की लाश मिली। इसके बाद यहां हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए। इसे रोकने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े। हत्या की वजह आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए-इस्लाम के बीच जारी टकराव को माना जा रहा है।

 
आतंकी संगठनों के बीच गैंगवॉर
बीते हफ्ते बारामूला में एक सेब के बगीचे से गोलियों से छलनी तीन युवाओं की लाशें मिली थीं। उस वक्त पुलिस ने बताया था कि इनकी हत्या हिजबुल और उससे टूटकर अलग हुए लश्कर-ए-इस्लाम के बीच टकराव की वजह से की गई। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, “शुरुआती जांच से ऐसा लगता है कि मारे गए तीनों आतंकी हिजबुल से अलग होकर लश्कर-ए-इस्लाम में शामिल हो गए थे, इसलिए इनको टॉर्चर करने के बाद मार दिया गया। हिजबुल के सुप्रीम कमांडर सैयद सलाउद्दीन ने कहा था कि लश्कर-ए-इस्लाम नाम का कोई संगठन नहीं है।
 
गांववालों ने सेना पर लगाया आरोप
बताया जाता है कि फयाज अहमद नाम के जिस आतंकी की लाश मिली है, वह पाटन के वेलू गांव का रहने वाला था। वह बीते छह साल से हिजबुल के लिए काम कर रहा था। गांववालों को उसकी लाश धान के खेतों में पड़ी मिली। इसके शरीर पर गोलियों के निशान थे। इसके बाद, गांववालों ने पुलिस को जानकारी दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। इसी बीच, वहां कई लोग जमा हो गए। उनका आरोप था कि सेना के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) के लोगों ने फयाज को मारा है। ये लोग भारत विरोधी नारे लगाने लगे। इन लोगों ने सीआरपीएफ और पुलिसवालों पर पत्थरबाजी की। चश्मदीदों के मुताबिक, सुरक्षाबलों ने उन्हें काबू करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे।
 
गिलानी ने की थी सलाउद्दीन से जांच की मांग
इसी साल मई में कश्मीर के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने हिजबुल चीफ सैयद सलाउद्दीन से कहा था कि वे इस बात की जांच करें कि सोपोर में मोबाइल टावर्स और ऑपरेटर्स पर हमले कौन कर रहा है। सलाउद्दीन से गिलानी ने यह मांग तब की जब सिक्युरिटी फोर्सेस और आतंकवादी संगठनों ने इस बात से इनकार कर दिया कि मोबाइल टावर्स और ऑपरेटर्स पर हमले में उनका हाथ है। इसी बीच, हिजबुल से अलग हुए गुट लश्कर-ए-इस्लाम के नेता कय्यूम नजर ने मोबाइल टावर्स और ऑपरेटर्स पर हमलों की जिम्मेदारी ली।
 
लश्कर-ए-इस्लाम ने क्यों गिराए मोबाइल टावर्स
सूत्रों के मुताबिक, लश्कर-ए-इस्लाम ने मोबाइल टावर्स और मोबाइल ऑपरेटर्स पर हमले इसलिए किए, ताकि वह कश्मीर में अपनी पहचान बना सके। इस संगठन का मकसद अपने लिए फंड जुटाना भी था। कय्यूम हिजबुल में डिविजनल कमांडर रह चुका है। उसने सलाउद्दीन को अपना नेता मानने से इनकार कर दिया था।
 
हिजबुल को तोड़ने पर उतारू है नजर
पुलिस के मुताबिक, कय्यूम नजर हिजबुल के कई आतंकियों को पैसा और पोजिशन का लालच देकर अपने साथ मिलाने की कोशिश कर रहा है। जो तीन लाशें पाटन के जंगल से बरामद की गई हैं, उनमें से दो की पहचान रेशी और वाणी के तौर पर हुई है। तीसरी लाश की पहचान नहीं हो सकी है।
 
सिक्युरिटी फोर्सेस को क्या फायदा
सूत्रों के मुताबिक, आतंकी गुटों में फूट का फायदा सिक्युरिटी फोर्सेस को हो रहा है। बीते दो महीनों में उन्हें पुख्ता इंटेलिजेंस इनपुट मिले और आतंकियों को मार गिराने में कामयाबी मिली। ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि एक गैंग दूसरे की इन्फॉर्मेशन लीक कर देता है। राफियाबाद में पिछले दिनों 10 घंटे चले एनकाउंटर के बाद लश्कर-ए-इस्लाम के रियाज अहमद मीर और उसके तीन साथियों को मार गिराया गया था। इन लोगों पर एक सरपंच के मर्डर का आरोप था।

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