जयंत सिन्हा ने कहा, चार वर्षों में बढ़े हैं देश में रोजगार के अवसर

आंकड़े भले गवाही नहीं दे रहे हों, लेकिन सरकार का दावा है कि पिछले चार साल में देश में रोजगार के अवसर बढ़े हैं। नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा का कहना है कि कई ऐसे नए आर्थिक क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़े हैं, जो आंकड़ों नहीं दिखाई देते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान देश में सालाना एक करोड़ रोजगार के अवसर पैदा करने का वादा किया था। विपक्ष इस मोर्चे पर असफल रहने के कारण लगातार सरकार पर निशाना साधता रहा है। सेंटर फॉर पॉलिसी अल्टरनेटिव्स के प्रमुख मोहन गुरुस्वामी के अनुसार, देश में बेरोजगारी 17 महीनों के उच्च स्तर पर है।

जयंत सिन्हा ने कहा, चार वर्षों में बढ़े हैं देश में रोजगार के अवसर

एक कार्यक्रम के दौरान इस विषय पर टिप्पणी करते हुए सिन्हा ने कहा, ‘तथ्य यह बता रहे हैं कि हम सभी रोजगारों को अर्थव्यवस्था में शामिल नहीं कर रहे हैं। नई तरह की अर्थव्यवस्था में कई ऐसे अवसर बन रहे हैं, जिन्हें रोजगार गणना में शामिल ही नहीं किया जाता है। ओला और उबर जैसी कैब एग्रीगेटर ने करीब 10 लाख ड्राइवरों को रोजगार दिया है, लेकिन किसी आंकड़े में इसे नहीं जोड़ा जाता।’

सिन्हा के दावे पर पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा, ‘नए उद्योग उतने रोजगारों का सृजन नहीं कर पा रहे हैं, जितना दावा किया गया था। समस्या यह है कि कौशल विकास की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। देश ऐसी स्थिति में है कि यदि हमने युवाओं का ध्यान नहीं रखा, तो न केवल यह पूंजी नष्ट हो जाएगी, बल्कि अर्थव्यवस्था पर दबाव भी बढ़ेगा। आज शिक्षित युवाओं का बड़ा वर्ग या तो निम्नस्तर के रोजगार में है या बेरोजगार है।’

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उन्होंने कहा कि सरकार पूंजीगत खर्च के जरिये विकास को गति देती है, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। खर्च लगातार कम हो रहा है। बजट का मात्र नौ फीसद पूंजीगत व्यय के लिए रखा गया है। इसे 20-30 फीसद किए बिना रोजगार नहीं पैदा किए जा सकते हैं। कोटक महिंद्रा बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर उदय कोटक ने भी कौशल विकास और शिक्षा व्यवस्था में बड़े बदलाव की वकालत की। उन्होंने कहा कि रोजगार सृजन अकेले सरकार का उत्तरदायित्व नहीं है। निजी क्षेत्र को भी जिम्मेदारी उठानी होगी।

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