जया बच्चन सपा पार्टी से चौथी बार जाएंगी राज्यसभा

समाजवादी पार्टी ने सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की पत्नी और अपने समय की शानदार अदाकार जय बच्चन एक बार फिर राज्यसभा भेजना तय कर दिया है। जया बच्चन को पार्टी ने नरेश अग्रवाल तथा किरन मय नंदा पर वरीयता दी है। अब जया बच्चन का चौथी बार उच्च सदन जाना तय है। राज्यसभा की 58 सीटों के लिए 23 मार्च को मतदान होना है।

जया बच्चन सपा पार्टी से चौथी बार जाएंगी राज्यसभा

राज्यसभा के लिए समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश से सिर्फ एक ही सीट जिताने में सक्षम है। इसके लिए जया बच्चन व नरेश अग्रवाल का नाम चल रहा था। नरेश अग्रवाल इस दौड़ में पिछड़ गए। पार्टी ने जया बच्चन को उनसे बेहतर उम्मीदवार माना है। जया बच्चन इससे पहले 2006 और फिर 2012 में उच्च सदन पहुंची थीं। उन्हें पहली बार 2004 में राज्यसभा सांसद बनने का मौका मिला था, लेकिन तब लाभ के पद के दुरुपयोग के आरोप में उन्हें उच्च सदन की सदस्यता छोडऩी पड़ी थी। जया बच्चन का कार्यकाल तीन अप्रैल को समाप्त हो रहा है। इस बीच तृणमूल कांग्रेस से नजदीकी की भी चर्चाएं थीं और कहा जा रहा था कि समाजवादी पार्टी ने यदि उनको टिकट न दिया तो तो सीएम ममता बनर्जी उन्हें राज्यसभा भेज सकती हैैं। अब तो इन सभी कयासों पर कल विराम लग गया है।

समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी 69 वर्ष की जया बच्चन इससे पहले 2004 से ही समाजवादी पार्टी से राज्यसभा सांसद रही हैं। यह अब उनका चौथा टर्म होगा। समाजवादी पार्टी के खाते में इस बार एक ही सीट थी, जिसकी वजह से उसे जया बच्चन और नरेश अग्रवाल में से किसी एक को ही चुनना था। पार्टी ने 2010 से राज्यसभा के सदस्य रहे नरेश अग्रवाल की जगह जया बच्चन को ही टिकट देना फायदे का सौदा समझा। समाजवादी पार्टी ने नरेश अग्रवाल और किरणमय नंदा को राज्यसभा का पत्ता काट दिया है। अपने दिग्गज नेताओं को दरकिनार करते हुए जया बच्चन को दोबारा से राज्यसभा भेजने का फैसला किया है। नरेश अग्रवाल पार्टी के महासचिव रामगोपाल यादव के करीबी माने जाते हैं। इसी के चलते उनका पत्ता कटा है। वहीं जया बच्चन का किसी गुट में ना होना ही उनके लिए वरदान साबित हुआ और पार्टी ने उन्हें चौथी बार राज्यसभा भेजने का फैसला किया है।

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माना जा रहा है कि समाजवादी पार्टी के नेता नरेश अग्रवाल से खुश नहीं हैं। शिवपाल सिंह यादव भी उन पर बीजेपी से संबंध रखने का आरोप लगाते रहे हैं। अखिलेश यादव ने पिता मुलायम और चाचा शिवपाल को खुश करने के लिए और दरार को खत्म करने के लिए ही जया बच्चन का नाम आगे किया है। राज्यसभा सांसद अमर सिंह का भी कहना है कि जया बच्चन शुरु से ही समाजवाद पार्टी के प्रति काफी निष्ठावान रही हैं। उन्होंने साबित किया है कि वह नरेश अग्रवाल से बेहतर राजनीतिज्ञ हैं।

 

उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के 16 सदस्यों का कार्यकाल अप्रैल और मई में समाप्त हो रहा है। इनमें जया बच्चन और नरेश अग्रवाल भी हैं। बीते वर्ष उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत की वजह से इस बार समाजवादी पार्टी के खाते में राज्यसभा का एक ही टिकट गया है। समाजवादी पार्टी के छह राज्य सभा सांसदों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। इनमें किरणमय नंदा, दर्शन सिंह यादव, नरेश अग्रवाल, जया बच्चन, मुनव्वर सलीम और आलोक तिवारी हैं। समाजवादी के पास सिर्फ 47 वोट हैं। इनकी मदद से अखिलेश यादव सिर्फ एक नेता को ही राज्यसभा में भेज सकते हैं। समाजवादी पार्टी बाकी के अतिरिक्त वोट को गठबंधन के तहत बसपा उम्मीदवार को देगी।

मुलायम सिंह के करीबी दर्शन सिंह यादव का पत्ता पहले ही कट चुका था। आजम खां के दाहिने हाथ मुनव्वर सलीम मध्य प्रदेश के रहने वाले है। आजम खां की मेहरबानी से राज्य सभा पहुंच गए थे। इस बार रेस से बाहर थे। इसके बाद समाजवादी पार्टी के बड़े नेता ब्रजभूषण तिवारी की मौत के बाद उनके बेटे आलोक तिवारी को राज्यसभा सांसद बनाया गया था। समाजवादी पार्टी के पास 403 में से 47 विधायक हैं। एक राज्यसभा सीट पर जीत के लिए 38 विधायक होने जरूरी हैं। संख्या बल को देखते हुए जया बच्चन की जीत तय मानी जा रही है। निर्वाचन के बाद वे दूसरी बार समाजवादी पार्टी से राज्यसभा का प्रतिनिधित्व करेंगी।

 

अमर सिंह ने सपा की राजनीति में दाखिल कराया था। जिसके बाद समाजवादी पार्टी से पहली बार राज्यसभा सांसद बनीं थीं। इस खबर पर एसपी के पूर्व नेता और कभी बच्चन परिवार के करीबी रहे अमर सिंह ने कहा कि जया बच्चन समाजवादी पार्टी के लिए वफादार रही हैं। वह नरेश अग्रवाल से बेहतर उम्मीदवार साबित होंगी। राज्यसभा सांसद अमर सिंह ने जया बच्चन को सही उम्मीदवार बताया है। अमर सिंह ने कहा कि जया बच्चन ने पार्टी में अपने काम को दिखाया है, जिससे पार्टी ने उन पर विश्वास किया है।

नरेश अग्रवाल को बड़ा झटका

नरेश अग्रवाल के लिए यह किसी झटके से कम नहीं है। नरेश अग्रवाल काफी मझे हुए राजनीतिज्ञ माने जाते हैं। समाजवादी पार्टी में शामिल होने से पहले नरेश अग्रवाल बहुजन समाज पार्टी से राज्यसभा सदस्य थे। इससे पहले उन्होंने कांग्रेस को छोडऩे के बाद लोकतांत्रिक कांग्रेस दल का गठन किया था।

 

वह भाजपा सरकार में भी इसी पार्टी के समर्थन देने के कारण मंत्री भी रह चुके हैं, जब प्रदेश में राजनाथ सिंह मुख्यमंत्री थे। अकटलें लगाई जा रही है कि नरेश अग्रवाल लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट से मैदान में उतर सकते हैं।

23 मार्च को होंगे राज्यसभा चुनाव

चुनाव आयोग के घोषित चुनाव कार्यक्रम के अनुसार संसद के उच्च सदन की 16 राज्यों में खाली हो रही 58 सीटों के लिये निर्वाचन प्रक्रिया पांच मार्च को चुनाव अधिसूचना जारी होने के साथ शुरू होगी। इन सीटों पर 23 मार्च को मतदान कराया जायेगा और उसी दिन मतगणना भी होगी। इसी के साथ केरल से राज्यसभा की एक सीट के लिये उपचुनाव भी होगा। यह सीट जदयू सदस्य एमपी वीरेन्द्र कुमार के गत वर्ष 20 दिसंबर को इस्तीफे के कारण रिक्त हुई थी। 13 राज्यों से 50 राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल आगामी दो अप्रैल को, दो राज्यों (उड़ीसा और राजस्थान) से छह राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल तीन अप्रैल और झारखंड से दो सदस्यों का कार्यकाल तीन मई को समाप्त हो रहा है।

यूपी में किसके पास कितनी ताकत

उत्तर प्रदेश में 403 विधानसभा सीटें हैं। इनमें भाजपा तथा समर्थित दलों के पास 324, समाजवादी पार्टी के पास 47, बहुजन समाज पार्टी के साथ 19 कांग्रेस के पास सात, राष्ट्रीय लोकदल व निषाद पार्टी के पास एक-एक तथा निर्दलीय तीन विधायक हैं। सबसे ज्यादा 10 सीटें यूपी की हैं। यूपी से समाजवादी पार्टी की जया बच्चन, नरेश अग्रवाल, किरणमय नंदा, दर्शन सिंह यादव, मुनव्वर सलीम व आलोक तिवारी। भाजपा के विनय कटियार, कांग्रेस के प्रमोद तिवारी और बीएसपी से मुन्नवर अली का कार्यकाल दो अप्रैल को समाप्त हो रहा है। एक सीट मायावती की वजह से खाली हुई। उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया था।  

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