प्राइवेट मदद से बना पहला सैटेलाइट लॉन्च करेगा इसरो, देश के 70 इंजीनियर शामिल रहे

  • अंतरिक्ष क्षेत्र में काम करने वाली भारतीय कंपनियों के लिए गुरुवार का दिन काफी अहम है। क्योंकि इसरो (इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन) पहली बार निजी कंपनियों के सहयोग से बने अपने किसी उपग्रह को लाॅन्च करेगा। इसका नाम आईआरएनएसएस-1 एच है। इसरो शाम 6.59 बजे इसे अपने श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से पीएसएलवी-सी 39 रॉकेट की मदद से छोड़ेगा। यह इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम का आठवां उपग्रह है। 1425 किग्रा वजनी यह उपग्रह आईआरएनएसएस-1 का स्थान लेगा, जिसकी परमाणु घड़ियों ने काम करना बंद कर दिया है।
     ISRO, the country's 70 engineers will launch the first Satellite made with Pvt.
    इसरो के मुताबिक यह पहला मौका है जब किसी उपग्रह के निर्माण में निजी कंपनियां सीधे तौर पर शामिल हुई हैं। आईआरएनएसएस-1 एच के निर्माण में निजी कंपनियों का 25% योगदान रहा है। इससे पहले उपग्रह निर्माण में निजी कंपनियां केवल हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, पार्ट और जरूरी सामान ही मुहैया कराती थीं। पर इस उपग्रह में निजी कंपनियों के इंजीनियर और टेक्निकल्स असेंबलिंग, इलेक्ट्रिकल इंटीग्रेशन, टेस्टिंग आदि काम में शामिल रहे हैं। इसके लिए 6 निजी कंपनियों का एक ग्रुप बनाया गया था। इन कंपनियों के 70 लोगों को अलग से ट्रेनिंग भी दी गई। इसरो उपग्रह केंद्र(आइसैक) के निदेशक एम अन्नादुरै का कहना है कि अगले आईआरएनएसएस-1 आई में करीब 95% काम निजी कंपनियां करेंगी।

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    निजी कंपनियों ने 6 माह प्रोजेक्ट में काम किया

    कंपनियों के ग्रुप का नेतृत्व अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजीज कंपनी ने किया। इसके अलावा बेंगलुरू की तीन और मैसूर और हैदराबाद की एक-एक कंपनी इस प्रोजेक्ट में शामिल रहीं। टीम के 70 इंजीनियर और टेक्निकल ने 6 महीने तक काम किया। अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजीज के चेयरमैन कर्नल एसएस शंकर का कहना है कि ये कंपनी के लिए सम्मान की बात है। इस काम में कंपनी के टॉप इंजीनियर शामिल रहे हैं। उन्होंने इसरो के टेक्नोक्रेट्स के गाइडेंस के मुताबिक कंपोनेंट्स की एसेंबलिंग की।
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