इन्वेस्टर्स समिट में सरकारी धन की बर्बादी, गमले पहुंचाने में खर्च हुए 32 लाख, ऐसी हुआ खुलासा

पीएम-सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट इन्वेस्टर्स समिट में भी अफसर घपलेबाजी करने से बाज नहीं आए। आयोजन के दौरान सजावट पर किए गए खर्च में कदम-कदम पर बड़े घपले सामने आ रहे हैं।

आलमबाग से राजधानी के ही विभिन्न हिस्सों में गमले पहुंचाने के नाम पर 32 लाख रुपये खर्च दिखा दिया गया। इतना ज्यादा खर्च भले ही किसी के गले न उतरे पर ऑडिट में इसपर आपत्ति नहीं की गई। 

फरवरी में राजधानी में हुए इन्वेस्टर्स समिट के दौरान सजावट के लिए 2.46 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया गया था। इस सजावट में घपले की शिकायत मुख्यमंत्री से की गई।

उसके बाद कृषि उत्पादन आयुक्त प्रभात कुमार ने जांच के लिए कमेटी गठित कर दी। हालांकि, उससे पहले शासन स्तर से कराए गए ऑडिट में इस खरीद को क्लीन चिट दे दी गई थी।

शासन के उच्चस्तरीय सूत्रों के मुताबिक, जांच में कदम-कदम पर गड़बड़ियां सामने आ रही हैं। पूर्व में कराई गई ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक, 7 मार्च तक सजावट करने वाली फर्मों और व्यक्तियों को 67 लाख रुपये का पेमेंट कर दिया गया था। 

सरकार की रोक बावजूद कर दिया 83 लाख का भुगतान

शिकायतें सामने आने पर 8 मार्च को सरकार ने आगे कोई भी भुगतान करने पर रोक लगी दी। उद्यान विभाग का रिकॉर्ड बताता है कि 8 मार्च के बाद भी 83 लाख रुपये का भुगतान किया गया है।

कोई नियम नहीं, दो अफसरों ने ही सब कुछ तय कर लिया
गमलों से लेकर फूल तक सभी कुछ आलमबाग क्षेत्र से ही खरीदा गया। यह खरीद आलमबाग के उद्यान प्रभारी संजय राठी और तत्कालीन उद्यान अधीक्षक धर्मपाल यादव ने की। किससे फूल और गमले खरीदे जाने हैं, किससे सजावट करानी है, किससे ढुलाई का काम लेना है, यह सबकुछ बिना किसी नियम को अपनाए इन्हीं दो अफसरों ने तय कर दिया। धर्मपाल यादव वर्तमान में उप निदेशक के पद पर पदोन्नति पाकर सहारनपुर में तैनात हैं। जबकि, संजय राठी की पिछले 25 वर्ष से लखनऊ में ही तैनाती बताई जाती है। 

नुकसान की कराई जा रही जांच 

ऑडिट रिपोर्ट में इन तथ्यों को एकदम नजरअंदाज करते हुए क्लीन चिट दे दी गई। जाहिर है कि खरीद से लेकर ऑडिट तक में उद्यान निदेशालय से लेकर शासन के कुछ अधिकारियों की भी मिलीभगत रही होगी। यहां बता दें कि उद्यान विभाग के अधिकारियों के अनुसार, सजावट मद में अभी तक 1.5 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। जबकि, 96 लाख रुपये का भुगतान अभी बाकी है। दूसरी ओर, सूत्र बताते हैं कि एपीसी ने इस पूरे घोटाले से हुई शासकीय क्षति के आकलन के निर्देश भी दिए हैं।
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