डोकलाम विवाद के बाद पहली बार मिले भारत-चीन के रक्षामंत्री, हुई बातचीत

डोकलाम के बाद भारत और चीन के रिश्तों को पटरी पर लाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने वुहान में कुछ फ़ैसले लिए थे जिन्हें आगे बढ़ाने की दोनों देशों ने प्रतिबद्धता दिखाई थी. इस दिशा में चीन और भारत दोनों कोशिश शुरू कर चुके हैं. इसी के मद्देनज़र चीन के रक्षा मंत्री वेई फेंगे चार दिन की भारत यात्रा पर भारत आए हैं.डोकलाम विवाद के बाद पहली बार मिले भारत-चीन के रक्षामंत्री, हुई बातचीत

गुरूवार को चीन के रक्षामंत्री भारत आए. उन्हें ‘गार्ड ऑफ़ ऑनर’ दिया गया और उसके बाद प्रतिनिधिमंडल स्तर बातचीत हुई. लगभग दो घंटे से ज़्यादा चली इस बैठक में सीमा संबंधित मुद्दे पर चर्चा हुई और दोनों देशों ने सीमा पर शांति और सौहार्द्र का माहौल बनाने पर सहमति जताई. साथ ही आपसी सैन्य सहयोग बढ़ाने के लिए 2006 में दोनों देशों के बीच हुए द्विपक्षीय एमओयू को बदल नए समझौते का एमओयू तैयार करने का फ़ैसला लिया गया.

दोनों देशों के बीच 3488 किलोमीटर लंबी ‘वास्तविक नियंत्रण रेखा’ पर शांति और सौहार्द्र बनाने और दोनों सेनाओं के बीच आपसी भरोसे को बढ़ाने के लिए की जा रही कोशिशों को तेज़ी से लागू करने पर भी सहमति बनी. इसके अलावा दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच हॉट लाईन व्यवस्था को भी जल्द शुरू करने पर भी चर्चा की गई.

सूत्रों के मुताबिक चीन ने डीजीएमओ स्तर की बात के लिए तो हॉट लाईन को शुरू करने पर सहमति जताई है लेकिन चीन एक नहीं बल्कि दो हॉट लाइन चाहता है. एक जो सीधे डीजीएमओ स्तर पर होगी और एक वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यूनिट लेवल और कमांडर लेवल पर अलग-अलग मुद्दों को सुलझाने के लिए.

ये कोई पहली बार नहीं है जब भारत और चीन आपसी संबंधों को सुधारने के लिए बात कर रहे हैं लेकिन एक तरफ दोनों देशों के बीच बातचीत होती है तो दूसरी तरफ चीन की हरकतों में कोई बदलाव नहीं आता. चीन अक्सर भारतीय सीमा में आ घुसता है और इसका ताज़ा उदाहरण पिछले महीने पूर्वी लद्दाख के डेमचौक का है जब चीनी सेना भारतीय सीमा में 400 मीटर अंदर तक आ पहुंची थी जिसे बाद में दोनों देशों के बीच तय व्यवस्थाओं के तहत सुलझाया गया.

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