पंजाब में नशे के मुद्दे पर सरकार को घेरने में आप नेता हुई विफल साबित

चंडीगढ़। आम आदमी पार्टी सूबे में लगातार सरकार को विभिन्न मुद्दों पर घेर पाने में सफल नहीं हो पा रही है। पार्टी सियासी तौर पर अपनी पकड़ मजबूत करने के बजाय खोती जा रही है। सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में मुट्ठी भर पार्टी कार्यकर्ता पहुंचते हैैं। हाल ही में नशे का मुद्दा इसका जीता जागता उदाहरण है। तीन सप्ताह से नशे के मुद्दे को लेकर आप सहित अन्य विपक्षी दलों ने जमकर सियासत की, लेकिन सरकार के डोप टेस्ट के सियासी फार्मूले ने आप नेताओं को ऐसा उलझाया कि वह खुद अपना ही डोप टेस्ट करवाने में जुट गए।पंजाब में नशे के मुद्दे पर सरकार को घेरने में आप नेता हुई विफल साबित

सूबे में कांग्रेस सरकार के गठन से पहले बने सियासी माहौल ने आप नेताओं को सत्ता में आने के सपने दिखाने शुरू कर दिए थे। यह अलग बात है कि जनता ने कांग्रेस के पक्ष में अपना फैसला दिया और आप विपक्ष में बैठने को मजबूर हो गई। इसके बाद लगातार आप में फूट के चलते पंजाब से आप की सियासी जमीन खिसकनी शुरू हो गई। केबल माफिया, ट्रांसपोर्ट माफिया, नशा माफिया, रेत माफिया सहित तमाम मुद्दों को उठाने में आप बुरी तरह से फ्लाप रही, नतीजतन एक-एक करके आप के मुद्दे औंधे मुंह गिरते रहे और सरकार की कूटनीति में आप नेता फंसते रहे। इस बार भी ऐसा ही हुआ।

नशे से पहले रेत माफिया का मुद्दा उठाकर आप ने सरकार को घेरना चाहा तो तीन सप्ताह के अंदर ही सरकार ने रेत माफिया का मुद्दा ही ठंडा कर दिया। इससे पहले प्रदूषित पानी की सियासत में आप ने एक महीने तक जोर लगाया। मुख्यमंत्री आवास के घेराव का कार्यक्रम रखा, लेकिन मुट्ठीभर कार्यकर्ताओं के चलते आप उस मुद्दे को पानी की बोतलों में बंद करके मीडिया की सुर्खियां भी नहीं बटोर पाई।

नशे के मुद्दे पर सरकार को घेरने का इस बार मौका अच्छा था। नशे के ओवरडोज से लगातार हो रही युवाओं की मौत के बाद पंजाब में लोगों के बीच गुस्सा है। संगठनों की ओर से मुहिम चलाई जा रही है। आप ने भी सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कवायद की, लेकिन यह मुद्दा आप की झोली में जा पाता इससे पहले ही सरकार ने डोप टेस्ट की सियासत शुरू कर दी। फिर क्या था सरकार को घेरने वाले आप नेता डोप टेस्ट करवाने के लिए अस्पतालों में लाइनों में लग गए।

अवैध रेत खनन का मुद्दा हुआ गायब

सूबे में धड़ल्ले से चल रहे अवैध खनन का मुद्दा बारिश के शुरू होते ही गायब हो गया। तीन सप्ताह से जारी नशे की सियासत में उलझा विपक्ष इस मुद्दे को ही भूल चुका है। नशे से हो रही मौतों से पहले सूबे में सबसे बड़ा मुद्दा अवैध रेत खनन का था। कांग्रेसियों व सरकार पर लगातार अवैध  खनन को लेकर उंगलियां उठ रही थीं। खासतौर पर रूपनगर में आम आदमी पार्टी के विधायक पर रेत खनन के ठेकेदार के करिंदों की तरफ से किए गए हमले के बाद तेजी से अवैध खनन को लेकर सियासत गरमाई थी। ऐसा नहीं है कि बारिश के चलते सभी जगहों से अवैध खनन बंद हो गया है, लेकिन नशे के मुद्दे ने इसे पीछे कर दिया है।

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