किसी ट्रांसजेंडर का वो अंग कैसा होता है ये जानने के लिए इस उत्‍सुकता में गलत क्‍या है ?

फिल्‍म कालाकांडी आजकल काफी चर्चा में है, दरअसल आपको बता दें कि सैफ अली खान को ध्‍यान में रखते हुए इस फ़िल्म में ट्रांसजेंडर्स के दिखाए जाने के तरीकों के तरफ ध्यान खींचा गया था। ये बात तो हम सभी जानते हैं कि हिंदी फिल्‍मों में ट्रांसजेंडर्स को सिर्फ मजाक के रूप में दिखाया जाता है लेकिन वहीं कालाकांडी को भी उसी वर्ग में रख देना थोड़ा सा अजीब लगता है। कई बार अभी तक तो आपने फिल्‍मों में ट्रांसजेंडर्स को हंसी का मजाक के लिए ही रोल निभाते देखा होगा लेकिन वहीं ये फिल्‍म बाकि फिल्‍मों से इस मामले में काफी अलग है वो भी इसलिए क्‍योंकि यहां ट्रांसजेंडर्स को उस तरह पेश नहीं किया गया है।

किसी ट्रांसजेंडर का वो अंग कैसा होता है ये जानने के लिए इस उत्‍सुकता में गलत क्‍या है ?आपने ये फिल्‍म देखा होगा तो अब तक मेरी बातों को समझ गए होंगे और अगर नहीं भी देखा है तो आपको बता दें कि इस फिल्‍म में एक आदमी को मेंटली दर्शाया गया है जिसे ये जानने की उत्सुकता रहती है कि ट्रांसजेंडर का सामान कैसा होता है यानि उसका प्राइवेट पार्ट कैसा दिखता है। इस कैरेक्‍टर वाले को विशेष रूप से दर्शाया गया है क्‍योंकि आज के समय में अगर कोई जानकारी चाहिए तो आप आसानी से इंटरनेट की मदद ले सकते हैं लेकिन उस व्‍यक्ति ने ऐसा नहीं किया। इस फिल्‍म में दर्शाया जाता है कि वो व्‍यक्ति नशे में रहता है और इसी हालत में एक ट्रांसजेंडर के पास जाता है और उसे पूरी इज्ज़त के साथ ओनली लुकी के लिए कहता है।

वहीं इसके बाद काफ़ी कुछ होता है वो दोनों काफ़ी देर तक साथ में रहते हैं, लेकिन कहीं भी, कभी भी, ऐसा नहीं होता, जब हम ये कहें कि सैफ़ का कैरेक्टर उसके साथ किसी भी तरह बेअदबी से पेश आ रहा है या बद्तमीज़ी कर रहा है। अंत में तो शीला सैफ़ से पैसे लेने से भी मना कर देती हैं और बेहद प्यार के साथ एक फ़्लाइंग किस देते हुए विदा लेती हैं।

दरअसल आपको बता दें कि ‘कालाकांडी’ में दिखाया गया ट्रांसजेंडर कैरेक्टर साथ में सैफ अली खान रही बात दीपक डोबरियाल और विजय राज की, तो वो दोनों फुकरे हैं। कालाकांडी में 3 कहानियां एक साथ चलती हैं। एक व्यक्ति जिसे पता चलता है कि वह बीमार है तो वह अपने सारे नियम-कायदे तोड़कर थोड़ा सा जीने का प्रयास करता है, एक महिला जो एक हिट-ऐंड-रन मामले में दोषी है और इससे बचना चाहती है और 2 गुंडे जिन्हें यह निर्णय लेना है कि वे एक-दूसरे पर विश्चवास करें या नहीं। इस फिल्म में पप्पी जी यानी दीपक डोबरियाल भी हैं।

इसके साथ ही ये भी बता दें कि इस फिल्‍म की कहानी सबको नहीं पसंद आई क्योंकि इसमें दूर दूर तक कोई लॉजिक नहीं है। तीनों कहानियों को मिलाने के दौरान थोड़े थोड़े जिक्र भी आमने आते हैं, जिन्हें दुरुस्त किया जा सकता था। क्लाइमैक्स और बेहतर हो सकता था।

 
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