सहायक शिक्षक भर्ती मामला में जांच समिति 3 हफ्ते में भी नहीं ढूंढ पाई कि किसने बदलीं कॉपियां

सहायक शिक्षक भर्ती मामले में प्रदेश सरकार की लापरवाही पर हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने एक बार फिर अधिकारियों को फटकारा है। मंगलवार को हाईकोर्ट में सरकार की ओर से बताया गया कि जांच के लिए आठ सितंबर को ही तीन सदस्यीय जांच समिति बना दी गई थी।

इस पर कोर्ट ने कहा, समिति बने करीब तीन हफ्ते हो चुके हैं लेकिन अभी तक किसी भी ऐसे अधिकारी की पहचान नहीं हो सकी जो अभ्यर्थियों की कॉपियां बदलने में दोषी पाया गया हो। कोर्ट ने जांच की प्रगति रिपोर्ट दो दिन में देने अथवा समिति के सदस्यों को पेश करने के निर्देश दिए हैं।

इस मामले में एक अभ्यर्थी सोनिका देवी द्वारा दायर याचिका की सुनवाई में हाईकोर्ट ने यह कड़ा रुख अपनाया है। जस्टिस इरशाद अली के समक्ष अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता ने सरकार की ओर से हलफनामा प्रस्तुत किया। इसमें बताया गया कि परीक्षा नियामक प्राधिकरण की सचिव सुत्ता सिंह को निलंबित कर दिया गया है। 

जो कमियां सामने आई हैं, उनकी जांच के लिए बेसिक शिक्षा सचिव ने तीन सदस्यीय समिति बनाई है। इसमें प्रमुख सचिव चीनी उद्योग व गन्ना संजय भूसरेड्डी को चेयरमैन और निदेशक सर्व शिक्षा वेदपति मिश्रा व निदेशक बेसिक शिक्षा सर्वेंद्र विक्रम सिंह को सदस्य बनाया गया है।

आश्चर्य है, दोषी नहीं तलाश पाए

सरकार का पक्ष सुनने के बाद अदालत ने कहा, यह बहुत आश्चर्य की बात है कि प्रदेश सरकार द्वारा जांच कमेटी बनाए तीन हफ्ते हो चुके हैं, लेकिन अब तक पूरी मशीनरी मिलकर भी उस व्यक्ति का नाम नहीं पता लगा सकी जो अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिकाएं बदलने में शामिल था। कमेटी को सोनिका देवी और अन्य अभ्यर्थियों की कॉपियां बदलने की जांच करनी है। स्थायी अधिवक्ता के निवेदन पर अगली सुनवाई 27 सितंबर को रखी गई है। कोर्ट ने कहा, अगली तारीख पर जांच की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। अगर ऐसा नहीं होता है तो जांच समिति के तीनों सदस्य दस्तावेजों के साथ कोर्ट में उपस्थित हों।

ये है पूरा मामला

– परीक्षा नियामक प्राधिकरण एलनगंज, इलाहाबाद ने प्राथमिक स्कूलों में 68,500 सहायक शिक्षकों की भर्ती के लिए परीक्षा करवाई।
– सोनिका देवी ने दावा किया कि वह एससी वर्ग से इसमें शामिल हुईं। अभ्यर्थियों को उत्तर पुस्तिकाओं की कॉर्बन कॉपी दी गई।
– प्रश्नपत्र की कुंजी से मिलान करने पर सोनिका को 66 अंक मिलने की उम्मीद थी। उनके वर्ग में 60 अंक की कटऑफ बनी लेकिन उन्हें इससे भी कम अंक मिले और चयन नहीं हुआ।
– उन्हाेंने अपनी कॉपी की दोबारा जांच की प्रार्थना की। 31 अगस्त को कोर्ट में विशेषज्ञों ने जांच कर बताया कि उनकी कॉपी के पृष्ठों पर दर्ज बारकोड अलग- अलग हैं।
– हाईकोर्ट ने दोषी अधिकारियों की पहचान कर कार्रवाई करने और सोनिका देवी को अस्थायी रूप से काउंसलिंग में शामिल होने की अनुमति देने का निर्देश दिया। 
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