चित्रकूट को मुक्त क्षेत्र घोषित करने को लेकर कई वर्षों से लंबित मांग को योगी सरकार ने किया साकार

 यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चित्रकूट से किया वादा पूरा कर दिया है। प्रभु श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट को मुक्त क्षेत्र (फ्री जोन) करने का प्रस्ताव विधानसभा और राज्यसभा में पारित हो चुका है और बहुत जल्द ही राज्यपाल के हस्ताक्षर होते ही अधिसूचना जारी हो जाएगी। इसके बाद क्षेत्र को पर्यटन को पंख लगना तय है और दूसरे प्रांतों के श्रद्धालुओं व पर्यटकों को मप्र और उप्र क्षेत्र में तीर्थ स्थलों में अतिरिक्त कर नहीं चुकाना पड़ेगा। इस फैसले के बाद संत-महंत और भक्तों में उल्लास का माहौल है।

चित्रकूट सदर विधानसभा क्षेत्र से विधायक व पीडब्ल्यूडी राज्यमंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय ने बताया कि गुरुवार को विधानसभा के बाद शुक्रवार को विधान परिषद में भी चित्रकूट मुक्त क्षेत्र प्रस्ताव पारित कर दिया गया है। अब राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद अधिसूचना भी जारी हो जाएगी। मध्य प्रदेश सरकार से अक्टूबर में करार होने के बाद सैद्धांतिक रूप से उत्तर प्रदेश में भी चित्रकूट को मुक्त क्षेत्र कर दिया गया था। अब इसे कानूनी रूप दिया जा रहा है। मध्य प्रदेश में 2018 में मुक्त क्षेत्र घोषित किए गए चित्रकूट में अतिरिक्त कर मुक्त परिवहन सेवा लागू है, मगर वहां इसे अभी तक कानूनी रूप नहीं दिया जा सका है।

हालांकि, अब दोनों प्रदेशों में मुक्त क्षेत्र के तहत अतिरिक्त कर से मुक्त परिवहन सेवा से पर्यटन विकास के रास्ते खुलने तय हैं। तीर्थ स्थलों तक आवाजाही के लिए सैलानियों व श्रद्धालुओं को राहत मिलेगी। मंदाकिनी तट पर रामघाट को केंद्र मानकर 10 किलोमीटर की परिधि में मुक्त क्षेत्र व्यवस्था लागू की गई है।

चार साल पहले की थी घोषणा : 23 अक्टूबर, 2017 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहली बार चित्रकूट आए थे। रामघाट पर मंदाकिनी की आरती कर उत्तर प्रदेश-मध्य प्रदेश सीमा को मुक्त क्षेत्र घोषित करने की घोषणा की थी। तब से ही प्रदेश सरकार के परिवहन मंत्री रहे स्वतंत्रदेव सिंह और अशोक कटारिया भी इसे धरातल पर लाने के प्रयास में लगे थे। मप्र के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने वर्ष 2018 में तपोभूमि को मुक्त क्षेत्र घोषित कर सभी बैरियर खत्म करा दिए थे।

10 किलोमीटर की परिधि में है तीर्थ स्थल : कामतानाथ परिक्रमा पथ, लक्ष्मण पहाड़ी, रामशैया, मडफ़ा किला, भरतकूप, लैना बाबा, सूर्यकुंड, पंपापुर, कोटितीर्थ, देवांगना, गणेश बाग और मप्र में कामतानाथ प्रमुख द्वार, भरतघाट, हनुमानधारा, सीता रसोई, जानकीकुंड, स्फटिक शिला, सती अनुसुइया आश्रम, गुप्त गोदावरी।

वर्ष 1993 में मप्र ने जारी की थी अधिसूचना : 29 अप्रैल, 1993 में भी अधिसूचना जारी कर मप्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और राज्यपाल कुंवर महमूद अली खान ने चित्रकूट को मुक्त क्षेत्र घोषित कर दिया था। 30 अप्रैल की मध्य रात्रि से अंतरराज्यीय चेक पोस्ट खत्म कर दिए थे, लेकिन उप्र की तत्कालीन सरकार ने इस दिशा में रुचि नहीं दिखाई थी।

अब ये होंगे फायदे

-पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा

-क्षेत्र का आर्थिक विकास।

-अंतरराज्यीय परिवहन को बढ़ावा।

-बिना झंझट व टैक्स के आवाजाही।

-टूरिस्ट बसें बेरोकटोक आ-जा सकेंगी।

क्या कहते हैं..

चित्रकूट मुक्त क्षेत्र की मांग पूरी होने से संत समाज व आमजन काफी खुश हैं। श्रद्धालुओं को दिक्कतों से छुटकारा मिलेगा। -आचार्य रामचंद्रदास, तुलसीपीठ के उत्तराधिकारी

-चित्रकूट के तमाम धार्मिक व पौराणिक स्थल उप्र-मप्र में है। बाहर से आने वाले टूरिस्ट वाहनों को सीमा पर रोक दिया जाता था। अब तय परिधि में ये आसानी से जा सकेंगे। -महंत महेंद्र दास, बजरंग आश्रम।

-विधानसभा व विधान परिषद में चित्रकूट को मुक्त क्षेत्र बनाए जाने का प्रस्ताव पारित हो गया है। राज्यपाल के हस्ताक्षर से यह कानून बन जाएगा। इसके लिए मुख्यमंत्री का बहुत बहुत आभार। टूरिस्ट बसें बेरोकटोक निर्धारित दायरे में जा सकेंगी। -चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय, राज्यमंत्री लोक निर्माण विभाग उत्तर प्रदेश

-संसदीय क्षेत्र समिति की बैठक में चित्रकूट में पार्किंग व टेंपो-टैक्सी को कर मुक्त करने का प्रस्ताव रखा था। इसके बाद मुक्त क्षेत्र का प्रस्ताव तैयार कर पारित किया जाना सरकार का सराहनीय कार्य है। -आरके सिंह पटेल, सांसद

मुक्त क्षेत्र का मतलब वाहन अधिनियम में कर मुक्त क्षेत्र है। उप्र और मप्र में किसी एक प्रांत का परमिट लेने के बाद वाहन चित्रकूट मुक्त क्षेत्र में बेरोकटोक घूम सकेंगे। -पीएस त्रिपाठी, एसडीएम मझगंवा, मध्यप्रदेश

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