इंदौर में कारोबारियों के साथ सीए भी उलझन में, तारीख बढ़ाने की मांग…

जीएसटी वार्षिक रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख 31 दिसंबर निर्धारित है। रिटर्न दाखिल करने के लिए कुल 4 दिन शेष है और अब तक इंदौर में बमुश्किल कुल 5 प्रतिशत रिटर्न दाखिल हो सके हैं। आयकर आडिट के लिए अंतिम तारीख 15 जनवरी है। कारोबारी परेशान है कि आडिट के पहले आखिर वार्षिक ब्यौरा कैसे दे। लगातार सख्त हो रहे जीएसटी के नियमों में गलती पर भी भारी पेनाल्टी का डर सता रहा है।उलझे सिस्टम से परेशान करदाताओं के साथ कर सलाहकार और सीए ने भी जीएसटी वार्षिक रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख बढ़ाने की मांग की है।

दरअसल जीएसटी के वार्षिक रिटर्न में पूरे साल के इनवायस, कारोबार, ई वे बिल और टैक्स का ब्यौरा दर्ज होता है।वार्षिक के दौरान कई त्रुटियां पकड़ में आती है जिन्हें सुधारकर कारोबारी जीएसटी वार्षिक रिटर्न को त्रुटी रहित जमा कर सकते हैं। दरअसल जीएसटी रिटर्न में सुधार का भी कोई मौका नहीं होता।

इस बीच टैक्स प्रोफेशनल्स भी जीएसटी और आयकर रिटर्न की तारीखों की उलझन में फंस गए हैं।उनके सिर पर एक साथ आयकर रिटर्न, आडिट और जीएसटी रिटर्न दाखिल करने का बोझ आ गया है। जबकी आइसीएआइ की परीक्षाएं 20 दिसंबर को समाप्त हुई है। ऐसे में सीए के दफ्तरों में काम करने वाले ज्यादातर जूनियर और इंटर्न ही 20 के बाद दफ्तर लौटे हैं।

ऐसे में कारोबारी चाहे तो भी सीए व सलाहकार जीएसटी रिटर्न 31 दिसंबर तक दाखिल नहीं कर सके। मप्र टैक्स ला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अश्विन लखोटिया और कमर्शियल टैक्स प्रेक्टिशनर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एडवोकेट एके गौर के मुताबिक जीएसटी काउंसिल और सरकार तक पहले ही समस्या पहुंचा दी गई है।

तार्किक और व्यवहारिक रूप से भी यह ठीक नहीं है कि आडिट की तारीख बाद की हो और वार्षिक रिटर्न की तारीख पहले बीत जाए। आजकल इनकन टैक्स रिटर्न से सीधे जीएसटी रिटर्न का भी लिंक है। ऐसे में थोड़ा सा भी मिसमैच कारोबारी को दोनों विभागों की पूछताछ और समंस में उलझा सकता है।सभी ने एक स्वर में मांग की है कि जीएसटी वार्षिक रिटर्न की तारीख आगे बढ़ाई जाना चाहिए।

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