हरियाणा में 34 साल बाद हाईकोर्ट पहुंची पीडि़त वृद्धा ने मांगा मुआवजा, 1984 में हुआ था दंगा

चंडीगढ़। वर्ष 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के दंगों के लगभग 34 साल बाद एक पीडि़त परिवार ने मुआवजे के लिए पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। गुरुग्राम के पटौदी की दंगा पीडि़त 82 साल की महिला ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर मुआवजा मांगा है।

हाई कोर्ट में दायर याचिका में 82 वर्षीय हरबंस कौर ने कहा है कि इन दंगों में उनके पति जोगिंदर सिंह की मौत हो गई थी, इसलिए हौंद छिल्लर के दंगा पीडि़तों की तर्ज पर उन्हें भी मुआवजा दिया जाए। जस्टिस राकेश कुमार जैन की पीठ ने इस याचिका पर केंद्र और राज्य सरकार को 23 मई के लिए नोटिस जारी कर दिए हैं।

याची ने बताया कि गुरुग्राम के पटौदी में हुए दंगों में उनके पति की मौत का मामला पटौदी पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था। उसने कहा है कि दंगे की जांच और पीडितों के दावे के लिए हरियाणा सरकार द्वारा जस्टिस टीपी गर्ग आयोग के गठन के बारे में उसे पता नहीं चला और इसी कारण वह मुआवजे के लिए दावा नहीं कर सकी।

रेवाड़ी जिले के हौंद छिल्लर गांव में हुई हत्याओं की जांच के लिए हरियाणा सरकार ने जस्टिस टीपी गर्ग आयोग का गठन किया था। हालांकि बाद में पटौदी गांव की हिंसा को भी आयोग की जांच में जोड़ दिया था। आयोग ने दंगों में हुई मौत के लिए पीडि़त परिवार को 15 लाख और संपत्ति के नुकसान पर पांच लाख का मुआवजा देने की सिफारिश की थी। याची ने कहा है कि आयोग के बारे में जानकारी न होने के कारण वह मुआवजे के लिए दावा नहीं कर पाई। याची ने इस मामले में केंद्र और हरियाणा सरकार को प्रतिवादियों में शामिल किया है। याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार और हरियाणा सरकार को नोटिस कर 23 मई को जवाब दायर करने को कहा है।

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