बिहार में कुछ इस तरह 2019 के लिए कांग्रेस बढ़ाएगी अपनी ताकत

पटना। लोकसभा चुनाव-2019 के लिए बिहार में सभी  राजनीतिक दल अपनी-अपनी बिसात बिछाने में जुट गए हैं। अल्पसंख्यक तुष्टिकरण से लेकर मुद्दों की राजनीति तक को हवा दी जाने लगी है। बिहार कांग्रेस भी ऐसे में पीछे नहीं। कांग्रेस ने चुनाव के मद्देनजर अपनी रणनीति बनाकर उस पर अमल शुरू भी कर दिया है। पार्टी ने जिलों की इकाई, सोशल मीडिया इकाई के साथ ही संगठन के विभिन्न विभागों को आगामी चुनाव के लिए सक्रिय हो जाने के निर्देश दिए हैं। बिहार में कुछ इस तरह 2019 के लिए कांग्रेस बढ़ाएगी अपनी ताकत

कांग्रेस की रणनीति के केंद्र में जनता और उसके मुद्दे हैं। आलाकमान की स्थानीय नेताओं को स्पष्ट हिदायत है कि जनता से सीधे रूबरू होने वाले मुद्दों की अनदेखी किसी भी हाल में ना हो। जहां आवश्यक हो वहां पार्टी की प्रदेश से लेकर जिला इकाई तक के नेता आम-आवाम के साथ खड़े हों। कांग्रेस की कोशिश जनता के मुद्दों को आधार बनाकर जहां अपनी ताकत का विस्तार करना है वहीं पार्टी की झोली में अधिक से अधिक सीटें लाना भी है। 

कांग्रेस के प्रभारी अध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी की पार्टी नेताओं को स्पष्ट हिदायत है कि जिला से लेकर प्रखंड तक पार्टी के नेता आम-आवाम के मुद्दों पर सरकार के खिलाफ आक्रामक हों। जिन मुद्दों पर जनता को राजनीतिक दलों के साथ ही दरकार है वैसे मुद्दों पर पार्टी उनके साथ खड़ी रहे। पार्टी सूत्रों की माने तो इस रणनीति को आधार बनाकर पार्टी के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने हाल ही में किसानों के शोषण के खिलाफ जिला से लेकर राज्य स्तर तक के आंदोलन का फैसला किया है। पार्टी की प्रदेश इकाई 25 जून से जिला से लेकर मुख्यालय तक चरणबद्ध आंदोलन करेगी।

आंदोलन के जरिए किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य ना दिया जाना, फसल के दाम ना मिलने की वजह से किसानों के बीच बढ़ती आत्महत्या की घटनाओं को लेकर पार्टी जनता के बीच जाएगी और केंद्र सरकार की नीतियों पर हमला करेगी। इसी कड़ी में बिहार की गिरती शिक्षा व्यवस्था, कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति पर भी पार्टी की विभिन्न इकाइयां सोशल मीडिया से लेकर बयानों तक में हमलावर दिखने लगी हैं। कांग्रेस की पूरी कोशिश जनता की बात कर उसके मुद्दे उठाकर अपनी ताकत में विस्तार करना है देखना होगा कि पार्टी की यह रणनीति चुनाव में उसे कितनी फायदा दे पाती है। 

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