2029 में लोकसभा-विधानसभा व निकाय चुनाव एक साथ कराए जाने की सिफारिश

लखनऊ। ‘वन नेशन वन इलेक्शन ‘ के विधि आयोग के सुझाव को आगे बढ़ाते हुए प्रदेश में गठित उच्च स्तरीय समिति ने भी लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाने की सिफारिश की है। समिति के अध्यक्ष सिद्धार्थ नाथ सिंह ने मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। इसमें सुझाव दिया गया है कि राज्यों के चुनाव को आगे-पीछे करके 2024 तक लोकसभा और विधानसभा का चुनाव एक साथ कराया जाना संभव हो जाएगा। 2029 तक स्थानीय निकायों के चुनाव भी इनके साथ ही जोड़कर तीनों चुनाव एक साथ कराया जा सकता है।

23 पन्नों की अध्ययन रिपोर्ट

राष्ट्रीय विधि आयोग के ‘एक देश, एक चुनाव और समान मतदाता ‘ के सुझाव पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सिंह ने स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह की अध्यक्षता में इस पर अध्ययन रिपोर्ट तैयार करने के लिए सात सदस्यीय टीम का गठन किया था। 23 पन्नों की इस रिपोर्ट में ब्रिटेन और जर्मनी की चुनाव प्रणाली का संदर्भ भी दिया गया है। नई व्यवस्था दो चरणों में लागू करने की सिफारिश की गई है। पहले लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराया जाए और फिर स्थानीय निकायों को इनसे जोड़ा जाए। समिति ने अपनी रिपोर्ट में सभी चुनावों के लिए एक मतदाता सूची की भी वकालत की है और कहा है कि मामूली प्रयासों से ऐसा किया जा सकता है। मुख्यमंत्री को रिपोर्ट सौंपने के बाद स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा- ‘उत्तर प्रदेश पहला राज्य है जो पंचायत स्तर तक के सभी चुनावों को एक साथ कराने के प्रधानमंत्री के विचार को आगे बढ़ा रहा है। हमने इसका अध्ययन किया और पाया कि यह संभव हो सकता है।-‘ बाद में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पत्रकारों से कहा-‘हम इस रिपोर्ट को केंद्र को भेज रहे हैं। यह जनता के व्यापक हित में काफी अच्छा कदम होगा।

समय चक्र एक साथ होगा

रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ राज्यों की विधानसभा के कार्यकाल में कटौती और कुछ का कार्यकाल आगे बढ़ाकर यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। सुझाया गया है कि वर्तमान लोकसभा का कार्यकाल चार जून 2019 तक है। अगली लोकसभा का कार्यकाल तीन जून 2024 तक होगा। इसकी मध्यावधि यानी नवंबर-दिसंबर 2021 को कटऑफ डेट माना जाए। इस अवधि के पहले पडऩे वाले राज्यों के चुनाव को 2019 के चुनाव के साथ करा दिया जाए। कटऑफ के बाद पडऩे वाले राज्यों के चुनाव को 2024 में कराया जाए। इससे लोकसभा और विधानसभा चुनाव का समय चक्र एक साथ हो जाएगा। दूसरे चरण में 2029 तक स्थानीय निकायों को इनसे जोड़ा जाए।

खर्च घटेगा, विकास कार्यों को गति मिलेगी 

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस कदम से चुनाव के खर्च में बहुत कमी आएगी और विकास कार्यों को गति मिलेगी। अभी अलग-अलग चुनाव कराने से इस मद में बहुत अधिक धनराशि खर्च होती है। एक साथ चुनाव कराए जाने पर जहां व्यवस्था को संभालना आसान होगा, वहीं चुनावी बजट में कमी आएगी।

आधार कार्ड से जोड़ी जाए मतदाता सूची

समिति ने लोकसभा, विधानसभा चुनाव और स्थानीय निकाय चुनावों के लिए एक मतदाता सूची पर जोर दिया है। इसके लिए सघन मतदाता पुनरीक्षण की जरूरत होगी जिसमें अधिक से अधिक तकनीकी साधनों का प्रयोग किया जाए। सुझाव है कि यदि मतदाता परिचय पत्र को आधार कार्ड से जोड़ा जाए तो नकली कार्ड नहीं बनाए जा सकेंगे। यदि किसी वजह से ऐसा संभव न हो तो इलेक्टर्स फोटो आइडेंटिटी कार्ड (एपिक) बनाए जाएं, जो यूनिक नंबर पर आधारित हों और एक नंबर पर दूसरा कार्ड बनते ही उसे निरस्त कर दें। इसमें मोबाइल नंबर भी जोड़े जा सकते हैैं। कहा गया है कि सोलह साल तक के प्रत्येक नागरिक का डाटा बेस तैयार किया जाए। 18 साल का होते-होते कुछ जरूरी सत्यापनों के बाद उनका नाम मतदाता सूची में दर्ज हो जाए। जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र कंप्यूटराइज्ड हों और उन्हें मतदाता सूची के केंद्रीय डाटा बेस से जोड़ा जाए ताकि मौत होते ही सूची से नाम स्वत: हट जाए।

सीधे चुने जाएं जिला पंचायत अध्यक्ष

समिति ने एक अहम सुझाव यह दिया है कि महापौर की तरह जिला पंचायत अध्यक्षों का चुनाव भी जनता सीधे करे। साथ ही क्षेत्र और जिला पंचायत सदस्यों के चुनाव को निरर्थक माना है। सुझाव दिया है कि चुने हुए ग्राम प्रधानों को ही क्षेत्र पंचायत सदस्य बना दिया जाए। इसी तरह जो क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष चुना जाए, उसे ही जिला पंचायत सदस्य भी माना जाए।

समिति अध्यक्ष और सदस्य

  • सिद्धार्थ नाथ सिंह -स्वास्थ्य मंत्री, उत्तर प्रदेश
  • विजय शर्मा- पूर्व सचिव भारत सरकार और मुख्य सूचना आयुक्त
  • अनुज कुमार बिश्नोई- पूर्व सचिव, भारत सरकार और पूर्व मुख्य चुनाव अधिकारी, उप्र
  • प्रो. बलराज चौहान-पूर्व कुलपति, डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, लखनऊ
  • विजय शर्मा- सेवानिवृत्त जज
  • मनोहर लाल – सेवानिवृत्त, विशेष सचिव, न्याय
  • एसके तिवारी- एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, लखनऊ
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