बीपी अशोक को मिली अहम जिम्मेदारी

लखनऊ। पांच माह पहले एससी/एसटी एक्ट में संशोधन के विरोध में भारत बंद के दौरान पहले सशर्त इस्तीफा और फिर वीआरएस (स्वैछिक सेवानिवृत्ति) की पेशकश करने वाले पीपीएस अधिकारी डॉ.बीपी अशोक को अब मेरठ का एएसपी क्राइम बनाने के कई निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। पुलिस महकमे की व्यवस्था को ही चुनौती देने वाले अफसर की अचानक फील्ड में अच्छी पोस्टिंग से कई सवाल भी उठ रहे हैं। माना जा रहा है कि डॉ.अशोक को एससी-एसटी आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमों के निस्तारण में सहायक भूमिका के लिए यह जिम्मेदारी दी गई है।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एससी-एसटी की बढ़ती नाराजगी के लिहाज से इसे शासन का पुलिस के जरिये बड़े हित साधने वाले कदम के रूप में भी देखा जा रहा है। उल्लेखनीय है कि दो अप्रैल को भारत बंद के दौरान खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हिंसा की घटनाएं हुई थीं। मेरठ, हापुड़, मुजफ्फरनगर, आगरा, गाजियाबाद सहित अन्य जिलों में उपद्रव को लेकर करीब 200 मुकदमे दर्ज कराये गये थे। इनमें मेरठ में 50 से अधिक एफआइआर दर्ज हुई थीं। इन मुकदमों की विवेचना मेरठ क्राइम ब्रांच द्वारा की जा रही है।

प्रांतीय पुलिस सेवा (पीपीएस) के अधिकारी डॉ. बीपी अशोक ने दो अप्रैल को हुए आंदोलन से क्षुब्ध होने का हवाला देकर राष्ट्रपति को सशर्त इस्तीफा भेजा था। दो टूक कहा था कि एससी/एसटी एक्ट को कमजोर किया जा रहा है। इसके ठीक अगले दिन डॉ.अशोक ने वीआरएस (स्वैछिक सेवानिवृत्ति) की मांग कर डाली थी। उनके पत्र पर कोई निर्णय होता, इससे पहले ही डॉ.अशोक की पत्नी ने डीजीपी मुख्यालय को प्रार्थनापत्र देकर अपने पति डॉ.अशोक के वीआरएस संबंधी पत्र पर कोई निर्णय न किए जाने का अनुरोध किया था।

कहा था कि उनके पति ने मानसिक तनाव की स्थिति में ऐसा कदम उठा लिया था। फिलहाल डॉ.अशोक के वीआरएस संबंधी पत्र पर कोई निर्णय नहीं हो सका था। पुलिस प्रशिक्षण निदेशालय में अपर पुलिस अधीक्षक (एएसपी) के पद पर तैनात डॉ.अशोक को दो दिन पूर्व एएसपी क्राइम ब्रांच, मेरठ के पद पर तैनाती दी गई है। डीजीपी मुख्यालय के अधिकारी इस मामले में कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं। प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार का कहना है कि एएसपी डॉ.बीपी अशोक की ओर से वीआरएस का जो आवेदन किया गया था, उसे वापस ले लिया ्रया। रूटीन प्रकिया के तहत उनका तबादला हुआ है। 

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