ऐतिहासिक धरोहर ताजमहल का रंग पड़ा पीला, IIT कानपुर करेगा इसका खुलासा

प्रदूषण के कारण पीले पड़े ताजमहल पर कौन से प्रदूषणकारी तत्वों का जमावड़ा है, ये किस दिशा और स्रोत से आ रहे हैं। इसका पहले चरण का अध्ययन आईआईटी कानपुर ने पूरा कर लिया है। 

गर्मियों और सर्दियों में प्रदूषण के स्तर, दिशा और तत्वों के अध्ययन का जिम्मा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने आईआईटी कानपुर को सौंपा है, जिसमें गर्मियों के महीने में जून और जुलाई में डाटा एकत्र किया गया है। अब दिसंबर-जनवरी में आईआईटी कानपुर की टीम आगरा आएगी।

11 अप्रैल को हुई ताज ट्रिपेजियम जोन अथॉरिटी की बैठक में ताजमहल पर प्रदूषणकारी तत्वों के अध्ययन के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिए गए थे। बोर्ड ने आईआईटी कानपुर को यह जिम्मेदारी सौंपी, जिसमें जून से जुलाई तक आईआईटी की टीम ने आकर मानीटरिंग की।

मार्च में आएगी रिपोर्ट

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पश्चिमी गेट बुर्ज पर मौजूद मानीटरिंग स्टेशन पर आईआईटी ने कई मशीनें, फिल्टर लगाकर कार्बन कणों, धूल कणों, गैसों का आंकड़ा इकट्ठा किया है। सर्दियों में डाटा एकत्र करने के बाद पूरी रिपोर्ट तैयार की जाएगी जो मार्च के अंत तक जारी कर दी जाएगी। 

इस रिपोर्ट में खुलासा हो जाएगा कि ताजमहल पर प्रदूषण के लिए कौन जिम्मेदार है। जो कण आ रहे हैं, वो वाहनों से निकले उत्सर्जन के हैं या फैक्ट्रियों या कूड़ा जलाने के। माइक्रो लेवल की इस जांच के बाद ही वैज्ञानिक उस पर नियंत्रण के उपायों को बता सकेंगे।

एएसआई भी लगा चुकी है फिल्टर

ताजमहल के पश्चिमी गेट की ओर से प्रदूषण की जांच केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कर रहा है तो पूर्वी गेट स्थित दशहरा घाट की ओर बुर्ज पर एएसआई केमिकल ब्रांच ने मानीटरिंग स्टेशन लगाया हुआ है। यहां पूरे एक साल तक फिल्टर लगाकर प्रदूषण की जांच की गई।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड आईआईटी कानपुर को इस अध्ययन के लिए 23 लाख रुपये का भुगतान करेगा। ऐसी ही एक जांच एएसआई केमिकल ब्रांच के अधीक्षण पुरातत्व रसायनविद् डॉ. एमके भटनागर कर चुके हैं। 

उन्होंने ताजमहल पर उत्तर पश्चिमी दिशा यानी आगरा किला की ओर मौजूद शहर की ओर से बताया है। वो भी दूसरे चरण के अध्ययन में माइक्रो लेवल पर प्रदूषणकारी तत्वों की जांच कर रहे हैं।

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