आइआइटी कानपुर ने इस साल तकनीक, डिजाइन, कापीराइट व ट्रेडमार्क के पेटेंट आवेदन में बनाया ये नया रिकार्ड

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) कानपुर ने इस साल तकनीक, डिजाइन, कापीराइट व ट्रेडमार्क के पेटेंट आवेदन में भी रिकार्ड बनाया है। एक वर्ष में 107 पेटेंट दाखिल किए हैं। इनमें 62 तकनीक, 15 डिजाइन, दो कापीराइट और 24 ट्ऱेडमार्क के शामिल हैं। अमेरिका में भी चार तकनीक पेटेंट आवेदन किए गए हैं। कुल मिलाकर संस्थान अब तक 810 आइपीआर (बौद्धिक संपदा अधिकार) हासिल कर चुका है। हाल ही में हृदय यंत्र नाम से दुनिया का सबसे उन्नत कृत्रिम हृदय विकसित करने की दिशा में भी कदम बढ़ाए हैं।

आइआइटी कानपुर को कार्यकुशलता, नवाचारों, शोधकार्यों और सामाजिक सरोकारों के लिए जाना जाता है। पिछले माह संस्थान के दीक्षा समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी बधाई दी थी। अब संस्थान ने नवाचारों को पेटेंट (बौद्धिक संपदा अधिकार) के लिए आवेदन करने में रिकार्ड बनाया है। निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने बताया कि वर्ष 2019 में जहां संस्थान की ओर से 76 पेटेंट दाखिल किए गए थे, वहीं इस बार 107 पेटेंट दाखिल किए हैं। इन पेटेंट में मेडिकल टेक्नोलाजी से लेकर नैनो तकनीक तक के आविष्कार शामिल हैं। इसमें कोविड-19 के दौरान संस्थान की ओर से पुन: प्रयोज्य फेस मास्क भी बनाया गया था।

इसके अलावा पिछले माह संस्थान की ओर से मिट्टी में विभिन्न तत्वों की मात्रा मापने के लिए बनाई गई भू-परीक्षक डिवाइस, लोगों के स्वास्थ्य की जांच के लिए बनाया गया हेल्थ एटीएम आदि भी शामिल है। निदेशक ने बताया कि दायर किए गए कुल पेटेंट में से उद्योग भागीदारों को 15.2 प्रतिशत की असाधारण प्रौद्योगिकी हस्तांतरण दर रही। यह संस्थान के लिए काफी बड़ी उपलब्धि है। जाहिर है कि महामारी के बावजूद संस्थान ने आत्मनिर्भर भारत बनाने में योगदान दिया है।

कोरोना महामारी के दौरान बनाए उपकरण : पुन: प्रयोज्य फेसमास्क, जिसमें पीवीडीएफ कंपोजिट नैनोफाइबर और श्वसन वायरस के खिलाफ नेजल स्प्रे फार्मूलेशन को तैयार किया गया। वेंटिलेटर, आक्सीजन कंसंट्रेटर बनाकर स्वास्थ्य सुविधाओं में इजाफा किया।

भू-परीक्षक उपकरण और एनएसवीएस भी उपयोगी : खेतीबाड़ी को बेहतर बनाने के लिए पिछले माह आइआइटी ने महज 90 सेकेंड में मिट्टी की गुणवत्ता और उसमें खनिज व अन्य तत्वों की मात्रा पता लगाने के लिए भू-परीक्षक किट तैयार की थी। इसी तरह गंगा व अन्य नदियों के पानी की गुणवत्ता व उसमें प्रदूषण की मात्रा मापने के लिए निरासारा स्वयंशासित वेधशाला (एनएसवीएस) प्रणाली पर उपकरण बनाया था।

बनारस में बनाया फ्लोटिंग सीएनजी फिलिंग स्टेशन : आइआइटी की ही इन्क्यूबेटेड कंपनी एक्वाफ्रंट इंफ्रास्ट्रक्चर की ओर से विश्व का पहला फ्लोटिंग सीएनजी फिलिंग स्टेशन वाराणसी में तैयार किया गया, जिसकी प्रधानमंत्री ने भी प्रशंसा की थी। औद्योगिक अपशिष्ट जल के शोधन के क्षेत्र में बायोडिग्रेडेबल मैग्नीशियम आधारित मिश्र धातुओं से उपकरण तैयार किया।

बौद्धिक संपदा के साथ राजस्व बढ़ा : संस्थान की व्यावसायीकरण गतिविधियों और आइपी (बौद्धिक संपदा) लाइसेंसिंग से राजस्व में भी दो गुना वृद्धि देखी गई है। संस्थान ने दो प्रकार के आक्सीजन कंसंट्रेटर्स का विकास और व्यावसायीकरण करके छह कंपनियों को तकनीक स्थानांतरित कर कोविड की दूसरी लहर के दौरान देश भर में आक्सीजन संकट को कम करने में सहयोग किया। आक्सीजन कंसंट्रेटर्स प्रौद्योगिकी हस्तांतरण मिशन भारत ओ2 परियोजना का हिस्सा था। इसमें 10 एलपीएम से 500 एलपीएम क्षमता वाले कंसंट्रेटर्स का निर्माण किया गया था।

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