यदि उम्र बढ़ने के साथ पढ़ने-लिखने में आ रही है परेशानी, तो हो सकती है ये बीमारी

बढ़ती उम्र में ज्यादातर लोगों की आंखों पर प्रभाव पड़ता है। कई बार लोगों को 45-50 की उम्र के बाद ही धुंधला दिखना या कम दिखने जैसी समस्याएं सामने आने लगती हैं। एपिरेटिनल मेंब्रेन (ईआरएम) बढ़ती उम्र से जुड़ी हुई बीमारी है। इस मर्ज में अंधेपन का खतरा नहीं होता है, पर रोजमर्रा के काम करने में बहुत परेशानियां आ सकती हैं। इस समस्या से कैसे निपटा जाए। एपिरेटिनल मेंब्रेन (ईआरएम) बीमारी ज्यादातर पचास साल या इससे अधिक उम्र के व्यक्तियों को हो सकती है। ईआरएम बहुत ही धीमी गति से अपना असर दिखाती है। इसलिए पीड़ित व्यक्ति को शुरुआती दिनों में इसका आभास नहीं होता।यदि उम्र बढ़ने के साथ पढ़ने-लिखने में आ रही है परेशानी, तो हो सकती है ये बीमारी

क्या है एपिरेटिनल मेंब्रेन

आप अपनी आंखों को कैमरे के रूप में देखते हैं तो यह समझ लें कि रेटिना फोटोग्राफिक फिल्म की तरह है। यह टिश्यूज की एक बहुत पतली पर्त है, जो रेटिना पर केंद्रित छवि के प्रति संवेदनशील होती है और मस्तिष्क को जानकारी भेजती है। रेटिना के केंद्र में मैक्यूला स्थित होता है। यह रेटिना का एक  विशेष क्षेत्र है, जिसे हम पढ़ने और आकारों को पहचानने के लिए इस्तेमाल करते हैं।

क्या हैं कारण

रेटिना की सतह की पर्त में एक दोष के कारण ईआरएम की समस्या उत्पन्न होती है।  इस समस्या में एक प्रकार की सेल (जिसे ग्लियन कोशिका कहा जाता है) रेटिना की सतह पर एक झिल्लीदार शीट में बढ़ने लगती है। यह झिल्ली विकारग्रस्त हो जाती है और समय के साथ रेटिना को सिकोड़ने का कारण बन सकती है। इस कारण दृष्टि और कमजोर हो जाती है।
इस समस्या का सबसे आम कारण पोस्टीरियर विट्रियस डिटेचमेंट (पीवीडी) नामक आयु से संबंधित एक स्थिति है, जहां आंखों को भरने वाली विट्रियस जैल रेटिना से अलग होती है।

ईआरएम के लक्षण

इस समस्या में पढ़ने और चेहरे को पहचाने में तकलीफों का सामना करना पड़ता है।
गंभीर मामलों में दृष्टि धुंधली और विकृत हो जाती है। ईआरएम धीरे- धीरे शुरू होती है और फिर तेजी से गंभीर स्थिति उत्पन्न कर देती है।  इस बीमारी के मरीज को विकृत या धुंधली दृष्टि, दोहरी दृष्टि, लहरदार दृष्टि का सामना करना पड़ता है। उसे छोटे लिखे अक्षरों को पढ़ने में समस्या होती है।

ईआरएम का इलाज

विट्रोरेटिना सर्जरी के द्वारा आंखों की रोशनी को वापस लाया जा सकता है। विट्रोरेटिना सर्जरी के दौरान आंखों से विट्रियस जैल को हटाया जाता है और जो भी बीमारी है उसके अनुसार ऑपरेशन किया जाता है। अगर खून आया है तो उसे हटाया जाता है। आंखों का पर्दा अगर अपनी जगह से खिसक गया है तो उसे बिठाया जाता है और अगर परदे पर कोई झिल्ली आ गयी है तो उसे हटाया जाता है।

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