अगर आपकी लाइफ में आ रहे हैं ये संकट, तो तुरंत करे ये उपाए…
।।नीति वाक्यम।।
दरिद्रता धीरतया विराजते
कुरुपता शीलतया विराजते ।
कुवस्त्रता शुभ्रतया विराजते
कुभोजनं चोष्णतया विराजते।।
अर्थात-यदि किसी के जीवन मेगरीवी है विपरीत समय चल रहा है चारो ओर से संकट है किन्तु वह धैर्य पूर्वक प्रत्येक कार्य करता है तो धीर धीरे संकट दूर हो जाएगा ।संयोग से किसी का स्वरुप सुन्दर नही है भगवान ने कुरुप वना दिया है यद्यपि परमात्मा किसी से घृणा नही करता सव उसी के सन्तान है फिर भी स्वरुप न अच्छा होने पर भी यदि उसमे शील गुण है तो वह समाज मे अपनी पहचान वना लेता है वस्त्र यदि कीमती नही है कही कही उसमे छिद्र भी है किन्तु स्वच्छ है तो उसकी शोभा है इसी तरह यदि नमक रोटी है किन्तु गरम गरम है तो पेट भर जाएगा षटरस व्यञ्जन पुराना होने से क्या लाभ उपरोक्त चिन्तन हमारे मनीषियो का प्रेरणादायक है जीवन शैली की अद्यतन विधा है
।।आचार्य स्वमी विवेकानन्द।।
श्री अयोध्या धाम
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