अगर आपका भी हैं दक्षिण मुखी मकान, तो इन नियमों का पालन करके बनाए शुभकारी…

मकान लेते समय देखा जाता हैं कि लोग दक्षिण मुखी मकान को लेना पसंद नहीं करते हैं क्योंकि वास्तु के अनुसार इसे अशुभ माना जाता हैं। इसी कारण दक्षिण मुखी प्रॉपर्टी के दाम कम ही रहते हैं। लेकिन ऐसा नहीं हैं कि दक्षिण मुखी मकान हैं तो आप पर परेशानियां आना निश्चित हैं जबकि आप घर बनवाते समय कुछ वास्तु टिप्स का ध्यान रख इस बुरे प्रभाव को कम कर सकते हैं। आज इस कड़ी में हम आपको कुछ ऐसे ही वास्तु टिप्स की जानकारी देने जा रहे हैं जो दक्षिणमुखी मकान के दक्षिण दोष को समाप्त करने का काम करेंगे। तो आइये जानते हैं इनके बारे में।

दक्षिणमुखी मकान का दोष खत्म करने के लिए मुख्य द्वार के उपर पंचमुखी हनुमानजी का चित्र लगा देना चाहिए, नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश नहीं करेगी।

यदि दक्षिणमुखी मकान के सामने मुख्य द्वार से दोगुनी दूरी पर नीम का हराभरा वृक्ष लगा देने से दक्षिण दिशा का नकारात्मक असर काफी हद तक समाप्त हो जाएगा।

आग्नेय कोण का मुख्यद्वार पर पेंट लाल या मरून रंग का हो, तो श्रेष्ठ फल देता है। इसके अलावा हल्का नारंगी या भूरा रंग भी चुना जा सकता है। परन्तु किसी भी परिस्थिति में मुख्यद्वार पर नीला या काले रंग नहीं करवाना चाहिए,अन्यथा घर में वाद-विवाद की समस्या रहेगी।

यदि आपका दरवाजा दक्षिण की तरफ है तो द्वार के ठीक सामने एक आदमकद दर्पण इस प्रकार लगाएं जिससे घर में प्रवेश करने वाले व्यक्ति का पूरा प्रतिबिंब दर्पण में बने। इससे घर में प्रवेश करने वाले व्यक्ति के साथ घर में प्रवेश करने वाली नकारात्मक उर्जा पलटकर वापस चली जाती है।

यदि दक्षिणमुखी मकान के सामने मकान से दोगुना बड़ा कोई दूसरा मकान है तो दक्षिण दिशा का असर कुछ हद तक समाप्त हो जाएगा।

दक्षिण मुखी प्लाट में मुख्य द्वार आग्नेय कोण में बनाना वास्तु की दृष्टि में उचित माना गया है। उत्तर तथा पूर्व की तरफ ज्यादा व पश्चिम व दक्षिण में कम से कम खुला स्थान छोड़ा गया है तो भी दक्षिण का दोष कम हो जाता है। ऐसे प्लाट में छोटे पौधे पूर्व-ईशान में लगाने से भी दोष कम होता है।

दक्षिणमुखी मकान में भी किचन बनाने के लिए घर में आदर्श स्थान दक्षिण-पूर्व दिशा ही है।एवं खाना पकाने के दौरान, आपका पूर्व की ओर मुंह होना चाहिए। किचन के लिए दूसरी सबसे अच्छी जगह उत्तर-पश्चिम दिशा है।

ध्यान रहे पानी की निकासी उत्तर-पूर्व दिशा की ओर होनी चाहिए। भूलकर भी दक्षिण दिशा में पानी से जुड़े कार्य नहीं होने चाहिए।

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