बीजेपी जीती तो ये होगे गोरखपुर के सांसद

गोरखपुर उपचुनाव में बीजेपी ने उपेंद्र शुक्ल को मैदान में उतारा है और शुरुआती रुझानों में बीजेपी इस सीट पर आगे चल रही है. यह सीट सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ के इस्तीफे के बाद खाली हुई थी जो यहां से 5 बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं.

बीते 29 साल में यह पहला मौका होगा जब गोरखपुर मठ से बाहर का कोई व्यक्ति इस सीट से सांसद चुना जाएगा. योगी आदित्यनाथ से पहले उनके गुरु महंत अवैद्यनाथ 1989 में इस सीट से सांसद रह चुके हैं. ऐसे में उपेंद्र शुक्ल पर भी पीठ का काफी प्रभाव होगा.

उत्तराधिकारी नहीं प्रतिनिधि

चुनाव से पहले ही शुक्ल ये साफ कह चुके हैं कि सीएम योगी ने गोरखपुर में जो विकास का बगीचा लगाया है, वह माली बनकर उस बगीचे को सींचने का काम करेंगे. साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि वो योगी के उत्तराधिकारी नहीं बल्कि उनके प्रतिनिधि हैं. गोरखपुर में पीठ का काफी महत्व है और माना जाता है कि न सिर्फ हिन्दू बल्कि पिछड़े वर्ग और अल्पसंख्यकों के बीच भी पीठ को लेकर गहरी आस्था है.

बीजेपी प्रत्याशी उपेंद्र शुक्ल की संगठन और कार्यकर्ताओं में अच्छी पकड़ है. पूर्वांचल में उनकी पहचान एक ब्राह्मण चेहरे के रूप में होती हैं. शुक्ल को केंद्रीय मंत्री शिव प्रताप शुक्ला का करीबी भी माना जाता है.

 

संगठन पर मजबूत पकड़

उपेंद्र शुक्ल संगठन में ही काम करते रहे हैं और इससे पहले कोई भी विधानसभा-लोकसभा चुनाव नहीं जीत पाए हैं. वह 2 बार कौड़ीराम विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन तब उन्हें बीजेपी की ओर से टिकट नहीं दिया गया था. यूपी में पिछली राजनाथ सरकार के दौरान वह गोरखुपर में बीजेपी के जिलाध्यक्ष भी रह चुके हैं.

छात्र जीवन से ही शुक्ल विद्यार्थी परिषद की राजनीति में सक्रीय रहे हैं. फिलहाल शुक्ल गोरखपुर से बीजेपी के क्षेत्रीय अध्यक्ष हैं और मोदी सरकार के आने के बाद से ही वह इस पद पर बने हुए हैं.

इस सीट पर समाजवादी पार्टी ने प्रवीण निषाद को प्रत्याशी बनाया है. खास बात ये है कि बहुजन समाज पार्टी ने भी खुलेतौर पर यहां प्रवीण निषाद का समर्थन करने का ऐलान किया है. कांग्रेस की ओर से इस सीट पर सुरहिता करीम मैदान में हैं, हालांकि मुख्य मुकाबला बीजेपी और सपा उम्मीदवार के बीच ही माना जा रहा है.

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