MP या MLA को देखते ही खड़े हों IAS अफसर: हरियाणा सरकार

नई दिल्ली. दिल्ली में IAS अफसरों और केजरीवाल सरकार के बीच चल रही रस्साकशी के बीच हरियाणा सरकार ने राज्य में ऐसी स्थिति न पनपने देने की तैयारी शुरू कर दी है. सरकार ने राज्य में कार्यरत IAS अफसरों के लिए एक गाइडलाइन जारी की है. इसमें अफसरों को कहा गया है कि वे सांसद और विधायकों के साथ मर्यादित तरीके से पेश आएं.MP या MLA को देखते ही खड़े हों IAS अफसर: हरियाणा सरकार

गाइडलाइन के तहत अफसरों से कहा गया है कि वे MP और MLA को देखते ही कुर्सी से उठकर खड़े हों. सांसद और विधायकों के साथ प्रोटोकॉल के तहत निर्धारित व्यवहार किया जाए. सरकार की गाइडलाइन के तहत ऐसा न करने वाले अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है. हरियाणा में कार्यरत सभी आईएएस अफसरों के लिए इस गाइडलाइन की बाबत मुख्य सचिव के कार्यालय से सर्कुलर जारी किया गया है. इसे तत्काल प्रभाव से लागू करने के लिए सभी विभागों को भेज दिया गया है.

सांसद-विधायक आएं तो उनकी आगवानी करने पहुंचें

हरियाणा सरकार की नई गाइडलाइन में आईएएस अफसरों को निर्देश दिया गया है कि वे सांसद-विधायकों के आने पर उनकी आगवानी करने पहुंचे. सांसद या विधायक जब भी उनके विभाग में या किसी सरकारी कार्यालय का निरीक्षण करने पहुंचें तो वे अपनी सीट से उठकर आगवानी के लिए कार के पास पहुंचें. चीफ सेक्रेट्री कार्यालय के आदेशानुसार सभी आईएएस अफसरों के लिए यह जरूरी है कि वे निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का सम्मान करें. अफसरों का व्यवहार लोक सेवकों (पब्लिक सर्वेंट) की तरह हो. वे सांसद या विधायकों के प्रति विनम्र रहें. हरियाणा सरकार द्वारा यह सर्कुलर प्रदेश के सभी विभागों को भेजा गया है. इसके साथ केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशासन विभाग द्वारा जारी गाइडलाइन की कॉपी भी संलग्न की गई है. इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सभी अफसरों के लिए इन निर्देशों का पालन करना अनिवार्य है.

सांसदों-विधायकों के फोन कॉल या मैसेज की अनदेखी न करें

आईएएस अफसरों को हरियाणा सरकार द्वारा यह ताकीद भी की गई है कि वे जनप्रतिनिधियों के संदेशों के पालन में भी तत्परता बरतें. सरकार के सर्कुलर में इस बात पर जोर देते हुए कहा गया है कि आईएएस अफसर, सांसदों या विधायकों के फोन कॉल और संदेश की कतई अनदेखी नहीं करें. जनप्रतिनिधियों द्वारा दिए गए संदेशों पर अफसर तत्काल प्रतिक्रिया दें. अगर कोई जनप्रतिनिधि ईमेल या मोबाइल मैसेज से भी संदेश भेजता है, तो उसकी भी अनदेखी न की जाए. आईएएस अफसरों को कहा गया है कि जनप्रतिनिधियों द्वारा उठाए जाने वाले सवालों के जवाब देने में भी सतर्कता बरती जाए. जहां तक संभव हो सांसदों या विधायकों को लिखित रूप से ही जवाब भेजे जाएं. इसमें सावधानी यह रखनी है कि जवाब के लिए अपनाई जा रही भाषा विनम्र हो. जनप्रतिनिधियों द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब धैर्यपूर्वक सुने जाएं.

सार्वजनिक मंचों पर भी प्रोटोकॉल का रखें ध्यान

हरियाणा सरकार की आईएएस अफसरों के लिए जारी गाइडलाइन में तमाम ब्यूरोक्रेट्स को यह हिदायत भी दी गई है कि वे सार्वजनिक मंचों या स्थानों पर होने वाले कार्यक्रमों में भी निर्धारित मानदंडों का ख्याल रखें. सर्कुलर में कहा गया है कि सार्वजनिक स्थानों पर होने वाले कार्यक्रमों में संबंधित क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों के लिए मंच पर की जाने वाली बैठक व्यवस्था (सीटिंग अरेंजमेंट) में भी प्रोटोकॉल का ध्यान रखा जाए. मुख्य सचिव द्वारा जारी सर्कुलर में कहा गया है कि अगर किसी सांसद का संसदीय क्षेत्र दो जिलों में पड़ता है तो ऐसे किसी कार्यक्रम स्थल पर संबंधित दोनों जिलों के अफसर सांसद को अपनी ओर से अग्रिम निमंत्रण भेजें. साथ ही कार्यक्रम के दौरान होने वाली सभी गतिविधियों की पूर्व सूचना भी उन्हें दें.

आईएएस अफसरों ने सर्कुलर पर जताया आश्चर्य

हरियाणा सरकार द्वारा आईएएस अफसरों के लिए जारी नए सर्कुलर पर राज्य में कार्यरत कई अधिकारियों ने आश्चर्य व्यक्त किया है. वहीं कई अधिकारियों ने ‘Deal with MPs, MLAs Respectfully’ शीर्षक से जारी इस सर्कुलर पर सवाल भी उठाए हैं. हरियाणा में कार्यरत एक वरिष्ठ आईएएस अफसर ने नाम न छापने की शर्त पर जीन्यूज को बताया कि हम हमेशा ही सांसदों और विधायकों का सम्मान करते हैं. इस सर्कुलर को लेकर उन्होंने कहा, ‘कई बार जनप्रतिनिधि ही कुछ लोगों के हित में नियमों में ढील देने को बाध्य करते हैं. तभी हम ऐसा करने पर मजबूर होते हैं.’ एक अन्य आईएएस अधिकारी ने सर्कुलर को लेकर कहा, ‘अगर किसी व्यक्ति ने कोई संगीन अपराध किया है और जनप्रतिनिधि हमें उस व्यक्ति को लेकर ढिलाई बरतने को कहेंगे, तो हमें जनता के पक्ष को पहले देखना होगा. ऐसी स्थिति में हमें आम आदमी के साथ खड़ा होना होगा.’

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