शरीर के पावर हाऊस के बारे में कितना जानते हैं आप, यही रखता है आपको जिंदा
माइटोकोंड्रिया ( कोशिका का पावर हाउस) के बारे में विस्तार से बता रहे हैं डॉ. गोपाल काबरा। प्राणी की हर कोशिका (लाल रक्त कणों के अलावा) को जीवित रहने और कार्य करने की ऊर्जा पावर हाउस से मिलती है। इन पावर हाउस को ‘माइटोकोंड्रिया’ कहते हैं। माइटोकोंड्रिया ऑक्सीजन जलाकर ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। माइटोकोंड्रिया का अपना डी.एन.ए. होता है, जो प्राणी के अपने विशिष्ट डी.एन.ए (जो कोशिका के न्यूक्लियस में होती है) से भिन्न होता है। माइटोकोंड्रिया के डी.एन.ए की संरचना बैक्टीरिया जैसी होती है, न कि प्राणी जैसी। मान्यता है कि प्राणी कोशिका में माइटोकोंड्रिया सचमुच में एक घुसपैठिया बैक्टीरिया है। आदिकाल में जब जीवन एक कोशिकीय था, तब यह ऑक्सीजन से ऊर्जा बनाने वाला बैक्टीरिया उस कोशिका में घुस गया, जो ऑक्सीजन से ऊर्जा नहीं बना सकता था। कोशिका को यह घुसपैठिया रास आया और उसने इसे ऑक्सीजन से ऊर्जा बनाने वाले पावर हाउस के रूप में आत्मसात कर लिया। तब से कोशिका के विभाजन के साथ यह भी स्वतंत्र रूप से विभाजित होकर संतति कोशिका में जाता है।