जीएसटी की दरों को सरकार कर सकती है कम, जानें पूरा मामला…

सरकार आने वाले महीनों में वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) को और कम सकती है। इसकी शुरुआत सीमेंट और पेंट्स जैसी निर्माण सामग्री से हो रही है, जिस पर सर्वाधिक 28 फीसद टैक्स लगता है। बताया जा रहा है कि सरकार उच्च कर लगने वाली कई वस्तुओं पर दर को कम कर सकती है, जिससे सरकार को ज्यादा राजस्व नहीं मिलता है।

यह 80:20 फॉर्मूला है, जिसमें 80 फीसद राजस्व चुनिंदा वस्तुओं और सेवाओं से मिल रहा है, जबकि बल्क आईटम्स से थोड़ा सा अमाउंट ही मिलता है। बताते चलें कि वित्‍त सचिव हसमुख अढिया ने कहा है कि जीएसटी के 28 फीसद टैक्स दायरे को तार्किक बनाने के लिए इसमें आने वाली वस्तुओं की संख्या घटाना राजस्व संग्रह पर निर्भर करेगा।

उन्होंने यह भी बताया कि जीएसटी के नए रिटर्न फार्म अगले साल जनवरी में पेश किए जाएंगे। यह सॉफ्टवेयर की बीटा-टेस्टिंग के बाद जारी होंगे। गौरतलब है कि 30 जून और 1 जुलाई की मध्यरात्रि से देश में जीएसटी को लागू कर दिया गया लेकिन उसके बाद से अब तक कई बार जीएसटी की प्रस्तावित दरों (0, 5, 12, 18 और 28 फीसद) में आने वाली वस्तुओं एवं सेवाओं में कई बार संशोधन किया जा चुका है।

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जानकारी के लिए बता दें कि 19 जनवरी, 2018 को हुई वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) काउंसिल की 25वीं बैठक में कुल 49 वस्तुओं पर कर की दरें कम की गईं थी। इसके साथ ही 29 हैंडीक्राफ्ट वस्तुओं को जीरो टैक्स स्लैब में लाया गया था।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बीते वर्ष दिसंबर में संकेत दिया था कि जीएसटी की 12 और 18 फीसद की दरों का विलय हो सकता है। जब जीएसटी संग्रह में बढ़ोतरी होगी, तो सरकार देखेगी कि क्या 12 और 18 फीसद वाली दरों को मिलाने की गुंजाइश है। इससे जीएसटी दरों की संख्या घटकर तीन रह जाएगी।

हालांकि, जीएसटी की फीसद वाली उच्चतम दर बनी रहेगी। उन्होंने यह भी बताया था कि 28 फीसद के स्लैब से वस्तुओं की संख्या घटाकर 48 तक लाई जा चुकी थी। इस स्लैब में आने वाली वस्तुओं की संख्या में और कमी लाई जा सकती है। इसमें मुख्य रूप से लक्जरी और सिगरेट जैसी अवगुणी वस्तुएं (सिन गुड्स) ही बचेंगी।

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