खुशखबरी: किसानों को नए साल में सरकार दे सकती है तोहफा, फसल पर देगी ज्यादा MSP
जेटली के जरिये न्यूनतम समर्थन मूल्य की समीक्षा का आश्वासन मिलने के बाद इस बात की संभावना बढ़ गई है कि सरकार अपने वादे को जल्द पूरा करेगी। समन्वय बैठक में शामिल संघ के पदाधिकारी ने कहा कि किसानों के हितों की अनदेखी नहीं होने दी जाएगी।कृषि समस्या किसी राज्य विशेष की नहीं है बल्कि पूरे देश की है। किसानों को उनके उत्पाद का वाजिब मूल्य प्रदान कराने के मामले पर सभी संगठनों की राय एकसमान रही। सरकार के प्रतिनिधि भी इस मांग से सहमत नजर आए।
न्यूनतम समर्थन मूल्य के समीक्षा की जरुरत इसलिये भी है, क्योंकि भाजपा ने लोकसभा चुनाव 2014 के अपने घोषणापत्र में कृषि उत्पाद का न्यूनतम समर्थन मूल्य लागत मूल्य से 50 प्रतिशत करने का वायदा किया था।
ऊपर से पीएम मोदी वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी पहुंचाने का ऐलान कर रखा है। इसे ध्यान में रखकर सरकार ने कृषि लागत कम करने के तमाम प्रयास भी किये हैं। बावजूद उसके किसानों की नाराजगी बनी हुई है।
भाजपा शासित राजस्थान, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में बीते वर्ष हुए किसान आंदोलनों ने भगवा रणनीतिकारों की नींद हराम कर दी थी। गुजरात में भाजपा बेशक चुनाव जीत गई है, मगर चुनाव के दौरान भी किसानों की नाराजगी साफ नजर आई थी।
संघ परिवार यह नहीं चाहता है कि देश का अन्नदाता उससे नाराज रहे। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में किसानों की नाराजगी कोई गुल खिलाये, भगवा रणनीतिकार उन्हें समय रहते ही साध लेना चाहते हैं।
यही वजह है कि संघ के आर्थिक संगठनों ने सरकार और भाजपा के साथ मैराथन बैठक कर किसानों की नाराजगी थामने की काट निकाल ली है। संघ संगठनों की इस समन्वय बैठक में संघ के सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल के अलावा भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, वित्त मंत्री अरुण जेटली और स्वदेशी जागरण मंच, भारतीय मजदूर संघ और भारतीय किसान संघ समेत तमाम संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद रहे। 28 दिसम्बर से शुरू हुई यह दो दिवसीय बैठक 29 दिसम्बर को समाप्त हुई थी।