चुनावों के वक्त गैरसैंण के लोगों को सपने दिखाकर सरकार नहीं पुरे कर पा रही है अपने वादे
देहरादून: गैरसैंण, यानी उत्तराखंड राज्य आंदोलन की भावनाओं का केंद्र। इसी के मद्देनजर भराड़ीसैंण (गैरसैंण) में 105 करोड़ की लागत से विस परिसर का निर्माण अंतिम चरण में है। राज्य गठन से अब तक विस के पांच सत्र वहां हो चुके हैं। इस सियासी गर्माहट के बावजूद इसका वहां कोई असर दिखाई नहीं पड़ रहा। स्थानीय समस्याएं जस की तस हैं और गांवों से जारी है पलायन का सिलसिला। यदि सरकारी स्तर से कुछ पहल होती तो अकेले गैरसैंण ब्लाक के ही 61 गांव पलायन से खाली नहीं होते। विस परिसर से कुछ ही फासले पर सलियाना समेत अन्य गांवों की पेयजल किल्लत अब तक दूर हो चुकी होती। सूरतेहाल, आमधारणा बन रही कि गैरसैंण सत्र क्या सिर्फ दिखावेभर को हैं।
गैरसैंण में वर्ष 2014 से विस सत्रों का सिलसिला प्रारंभ होने के बाद लगा कि इस सियासी गर्माहट के बाद क्षेत्र के विकास को पंख लगेंगे। पानी, बिजली, सड़क आदि से जुड़ी दिक्कतें दूर होंगी। पलायन रुकेगा। लेकिन, ऐसा नजर नहीं आ रहा। ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की रिपोर्ट इसकी तस्दीक करती है। चमोली के जिस गैरसैंण ब्लाक में विधानसभा परिसर बन रहा है, उसके 61 गांव पिछले 10 सालों में खाली हुए हैं। इस ब्लाक के 47.41 फीसद लोगों ने रोजगार तो 19.04 ने स्वास्थ्य, 20.78 ने शिक्षा और 6.41 फीसद ने मूलभूत सुविधाओं के अभाव में पलायन किया।
अब जरा, गैरसैंण में सियासी सरगर्मी पर नजर दौड़ाते हैं। सूचना का अधिकार के तहत मिली जानकारी के मुताबिक गैरसैंण में सबसे पहले 2014 में नौ से 11 जून तक विस सत्र हुआ। इसके बाद नवंबर 2015 में गैरसैंण और फिर इसके बाद भराड़ीसैंण में दिसंबर 2016, नवंबर 2017 व मार्च 2018 में विस सत्र हुए। इनमें मार्च 2018 का बजट सत्र ही ऐसा था, जो सबसे अधिक छह दिन चला। बाकी सत्र दो या तीन दिन में ही सिमट गए। इन सत्रों पर खर्च हुआ करीब 2.91 करोड़ की धनराशि।
कुल मिलाकर, पांच बार पूरी सरकार और सरकारी अमला गैरसैंण-भराड़ीसैंण जा चुका है। फिर भी वहां की समस्याओं के निदान की दिशा में प्रभावी पहल न हो पाना, सिस्टम की कार्यशैली पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है। विस परिसर से कुछ ही फासले पर स्थित गांवों में पानी, सड़क जैसी दिक्कतें आज भी बनी हुई हैं। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि नीति नियंताओं को क्षेत्रवासियों का दर्द कब समझ आएगा।
गैरसैंण-भराड़ीसैंण में विस सत्र
वर्ष———-दिन——— व्यय (रुपये में)
2014—03———5095501
2015—02———232527
2016—02——–9869395
2017—02——–3629870
2018—06——–10248228