BJP के 3 पूर्व मुख्यमंत्रियों को फिर मिले सरकारी बंगले, दिग्विजय का पत्ता साफ

पूर्व मुख्यमंत्रियों के सरकारी बंगले खाली कराने को लेकर हाईकोर्ट के आए फैसले के बाद मध्यप्रदेश के जिन चार पूर्व मुख्यमंत्रियों से सरकारी बंगले खाली करवाए गए थे, उनमें से तीन कैलाश जोशी, उमा भारती और बाबूलाल गौर को वही बंगले नए सिरे से शुक्रवार को सशुल्क आवंटित कर दिए गए हैं। इसके लिए राज्य सरकार की ओर से नए आवेदन की प्रक्रिया अपनाई गई है। शासन की ओर से की गई पहल पर तीनों ने नए आवेदन दिए थे। हालांकि दिग्विजय सिंह ने अभी तक सरकार को कोई आवेदन नहीं दिया है।

नए आवेदन में कैलाश जोशी ने तर्क दिया कि लंबे समय से वे समाज सेवा कर रहे हैं, इसी नाते उन्हें बंगला आवंटित करें, उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री से बात कर सुप्रीम कोर्ट में अपील की बात करूंगा। 10 बार सेे विधायक बाबूलाल गौर ने कहा कि वे 35 साल से लगातार विधायक हैं। इसलिए बंगला मेरे पास ही रहने दिया जाए।

इसी तरह केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने मध्य प्रदेश का निवासी होने के साथ विधायक और बाद में मुख्यमंत्री होने की बात रखी। भोपाल लगातार आने-जाने का कारण भी उन्होने जोड़ा। इन तर्कों के आधार पर सरकार ने तीनों को बंगले दे दिए।

गौरतलब है कि पिछले सप्ताह ही गृह विभाग ने चारों पूर्व सीएम के बंगलों का आवंटन निरस्त कर दिया था। जोशी और गौर के शासकीय आवास 74 बंगले में हैं, जबकि उमा भारती और दिग्विजय के आवास श्यामला हिल्स पर हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि सुंदरलाल पटवा ने जो नियम बनाए थे, वे ही चले आ रहे हैं। अदालत के आदेश का पालन करेंगे। सांसदों को बंगला दिया जाता है तो आवेदन देंगे कि सांसद कोटे से दिया जाए अगर सरकारी बंगला नहीं मिला तो सर्किट हाउस में रहेंगे। हालांकि सीएम सचिवालय ने दिग्विजय से भी बंगला मामले में पूछा था पर कोई जवाब नहीं मिला।  

सीएम के विशेषाधिकार से निकाला गया रास्ता
हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना न हो, इसलिए सरकार ने सीएम के विशेषाधिकार का उपयोग कर बंगलों का आवंटन कर दिया। हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों की सुविधा से जुड़े उस प्रावधान को रद्द किया था, जिसमें कहा गया था कि उन्हें आजीवन बिना किराए के शासकीय बंगला मिलेगा। इसके विरोध में याचिका लगी। हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को शासकीय बंगलों की सुविधा नहीं दी जाएगी। इसी के बाद राज्य सरकार के गृह विभाग ने चारों पूर्व सीएम के बंगला आवंटन निरस्त कर दिए। पूर्व सीएम सुंदरलाल पटवा के निधन के बाद उनका बंगला उनके भतीजे व राज्य मंत्री सुरेंद्र पटवा को दे दिया गया है। कैलाश जोशी के पुत्र व राज्यमंत्री दीपक जोशी को 74 बंगले में ही अतिरिक्त शासकीय बंगला मिला हुआ है।

सिंधिया को अभी तक नहीं मिला बंगला
पूर्व केंद्रीय मंत्री, सांसद व कांग्रेस की प्रदेश स्तरीय चुनाव प्रचार अभियान समिति के प्रमुख ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी सांसद कोटे से शासकीय आवास की मांग की है। अभी गृह विभाग ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। बताया जा रहा है कि बड़े आवास रिक्त नहीं हैं, वेटिंग ज्यादा है।

खाली करने ही होंगे बंगले !
सूत्रों का कहना है कि हाईकोर्ट के फैसले के अनुरूप सरकार पूर्व मुख्यमंत्रियों से एख माह में सरकारी बंगले खाली करवा सकती है। सरकार ने विधि विभाग के अफसरों से राय मशविरा किया है। इसकी संभावना भी तलाशी जा रही है कि क्या फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। अफसरों ने यूपी सरकार के केस का हवाला देते हुए ऐसा न करने की सलाह दी है। उन्होंने तर्क दिया है कि सुप्रीम कोर्ट से बंगला मामले में कोई राहत मिलने की संभावना नहीं है, बेहतर होगा बंगले खाली करवा लिए जाएं। इस बारे में अंतिम फैसला मुख्यमंत्री ही करेंगे।

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