दिल्ली की बदनाम गली GB रोड की Love Story, जिस्मफरोशी वालों को भी है प्यार करने का हक

जीबी रोड के कोठे जिस्मफरोशी के धंधे के ‘दलदल’ बन चुके हैं, जहां प्यार, लगाव जैसे अहसास इतनी बुरी तरह रौंदे जाते हैं कि प्यार करने वालों का हाल… ‘न ख़ुदा ही मिला न विसाल-ए-सनम’ (न इधर के हुए न उधर के हुए) जैसा होता है। फिर भी, जैसे दलदल में कमल खिलते हैं, वैसे ही यहां भी सेक्स वर्कर्स के दिलों में प्यार और अहसास के फूल पनप जाते हैं।

ज्यादातर सेक्स वर्कर्स अपने अहसासों को दिल के भीतर ही दबा कर रखती हैं तो कई सिर्फ जाहिर करके रह जाती हैं। कोई-कोई प्रेमी के साथ ‘नई दुनिया बसाने’ का कदम उठा लेती हैं। इन सबके बीच सबसे कड़वा सच यही है कि जीबी रोड से पनपा प्यार, जब-जब शादी या लिव-इन रिलेशनशिप जैसे मुकाम पर पहुंचा, उनमें 95 फीसदी मामलों का अंजाम अच्छा नहीं रहा। सेक्स वर्कर से महबूबा या पत्नी बनने वाली महिला की पिछली जिंदगी उनके सामने दीवार की तरह खड़ी होती है। यही वजह है कि प्यार, अहसासों के बावजूद कोठों की दुनिया में मोहब्बत बैन है। यह कहना है जीबी रोड की एक कोठा नायिका नाजनीन (बदला हुआ नाम) का। 

नाजनीन की जिंदगी के 20 साल कोठे पर गुजरे। जीबी रोड पर वैलंटाइंस-डे के माहौल के बारे में उनसे बात की थी। पहले तो हंसकर टालने लगीं, लेकिन जब सेक्स वर्कर्स के प्यार और अहसास के बारे में कुरेदा तो बहुत कुछ शेयर किया। 

बोलीं, टीवी चैनल्स-अखबारों में वैलंटाइंस-डे का इतना हल्ला होता है कि कोई अन्जान कैसे रहे? 20 साल पहले तक दिल्ली में वैलंटाइंस-डे को कोई नहीं पूछता था। अब तो वैलंटाइंस-डे वाले दिन की ‘खुमारी’ कोठों पर भी नजर आती है। वैलंटाइन-डे पर कई रेगुलर कस्टमर अपनी पसंद की सेक्स वर्कर्स के पास गुलाब के फूल लेकर पहुंचते हैं, चॉकलेट्स वगैरह भी देते हैं, एक्स्ट्रा खिलाते-पिलाते हैं, लेकिन ये सब होता पूरा दिखावा ही है। कोठों पर हकीकत में इश्क-मुश्क की कोई कद्र नहीं। हर कोठा संचालिका या सेक्स वर्कर एक दिन में ज्यादा से ज्यादा कस्टमर्स निबटाने और रुपये कमाने की कोशिश में होती हैं। 

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प्यार की चोट खाकर ही बनती हैं सेक्स वर्कर 

जीबी रोड पर हुई कानूनी कार्रवाई में शामिल पुलिस अधिकारी और सेक्स वर्कर्स से बातचीत में एक बात बिल्कुल साफ हुई कि ज्यादातर सेक्स वर्कर्स प्यार की ही चोट खाकर कोठों पर पहुंचीं। उन्हें किसी धोखेबाज ने प्यार और शादी के सब्जबाग दिखाए। फिर घर-परिवार से दूर किया, शारीरिक शोषण किया, सारा रुपया और जूलरी ऐंठा, आखिर में कोठे पर बेच दिया। 

हर तरह से लुटने-पिटने और अपनों को पीछे छोड़ आने की वजह से ये युवतियां सेक्स वर्कर बनने को मजबूर हो गईं। ऐसी युवतियां फिर भला कैसे किसी के प्यार पर विश्वास कर सकती है? कैसे किसी के प्यार को पवित्र मान सकती हैं? पर कहते हैं कि प्यार अंधा होता है, कब चुपके से दिल में उतर जाता है, पता ही नहीं चलता, उसी तरह कोठों पर भी कई सेक्स वर्कर कस्टमर के इश्क-मुश्क में पड़ जाती हैं, हालांकि ज्यादातर अपने जज्बात काबू में रखती हैं, कस्टमर से प्यार जरूर करती हैं, उनका खास ध्यान भी रखती हैं, लेकिन किसी शर्त में नहीं बंधती। कुछेक ऐसी भी होती हैं जो प्यार में घर बसाने का कदम उठाने को तैयार हो जाती हैं। असल में इस बदनाम बस्ती में पवित्र प्यार की कोई जगह नहीं। यहां आर्टिफिशल प्यार ही ज्यादा होता है, जिस पर ‘फिदा’ होने वाली सेक्स वर्कर्स को आखिर में बड़ा धोखा मिलता है। 

एक कोठा संचालिका के अनुसार, एक समय था जब किसी सेक्स वर्कर को प्यार होने पर खुद कोठा संचालिका और उसकी साथी सेक्स वर्कर्स मदद के लिए तैयार हो जाती थीं। उसका घर बसाने के लिए अपनी तरफ से रुपये, जेवर आदि देती थीं, लेकिन अब न उस जमाने जैसा प्रेम रहा है, न रिश्तों में सच्चाई। प्यार में सेक्स वर्कर्स के साथ इतने धोखे हुए हैं कि अब कोई किसी के प्यार-जज्बात की कद्र नहीं करता। मदद करना तो दूर की बात है। अगर कोई सेक्स वर्कर ऐसा कदम उठाती है तो उसे रोकने-समझाने की कोशिश करते हैं। 

एक पुलिस अधिकारी के अनुसार, कई कोठों पर प्यार में पड़ी सेक्स वर्कर से वहां के संचालक सख्ती से पेश आते हैं। उन्हें उसके कथित प्रेमी से दूर रखने की कोशिश करते हैं। इस कारण कई बार पुलिस तक शिकायत पहुंचती है। ऐसे में पुलिस ऐक्शन लेती है। ऐसे तमाम मामले हैं, जिनमें सेक्स वर्कर को उसके प्रेमी ने पुलिस की मदद लेकर कोठे से रेस्क्यू करवाया।

कोठे से निकली प्रेम कहानी 

पिछले साल ही कमला मार्केट पुलिस के सामने कोठा नंबर 68 से एक केस आया। कोठे पर सेक्स वर्कर की जिंदगी गुजार रही एक 18 साल की युवती ‘कस्टमर’ के प्यार के सहारे कोठे की कथित कैद से बाहर निकली। उसका कहना था कि उससे पिछले डेढ़ साल से जबरन वेश्यावृत्ति करवाई जा रही थी। एक कस्टमर को उससे हमदर्दी हो गई, जो धीरे-धीरे प्यार में बदली। दोनों साथ रहना चाहते थे, लेकिन कोठा संचालक युवती को निकलने नहीं दे रहे थे। कस्टमर ने एक एनजीओ से मदद मांगी। एनजीओ ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस टीम ने कोठे पर रेड करके युवती को छुड़ा लिया। युवती के बयान पर कोठा नंबर-68 की दो संचालिकाओं को अरेस्ट कर लिया। युवती वेस्ट बंगाल की रहने वाली थी। उसे करीब डेढ़ साल पहले नाबालिग रहते कोठे पर लाया गया था। उसने बताया कि वह वेश्यावृत्ति नहीं करना चाहती थी, लेकिन उसे तरह-तरह से प्रताड़ित किया गया। उसकी कोठा संचालिका उसे बताती थीं कि उन्होंने उसके लिए मोटी रकम चुकाई। 

एक कोठेवाले के अनुसार, ऐसे भी केस सामने आते हैं, जिनमें कस्टमर खूब अच्छा पहन-ओढ़ कर आते हैं। खुद को पैसेवाला और दिलवाला दिखाते हैं। जिस सेक्स वर्कर को टारगेट करते हैं, उसपर शुरुआत में अच्छा खर्चा करते हैं। इतना कुछ करने के बाद प्यार का इजहार करते हैं। इस तरह नजदीकी बनाकर जाल में फंसाते हैं। फिर घर बसाने का झांसा देकर साथ ले जाते हैं। उसके बाद उनका सब कुछ लूटकर फिर किसी दूसरे राज्य के कोठे पर बेच देते हैं। उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं होता। इसलिए किसी को कोई खबर नहीं मिल पाती। असल में ऐसे ‘धोखेबाज प्रेमियों’ का यही धंधा होता है, इसलिए कोठे की लड़कियों को सावधान किया जाता है। 

प्यार में बच्चे तो कोठों पर छोड़ गईं 

सेक्स वर्कर्स के अनुसार, जीबी रोड के कोठों पर ऐसे भी उदाहरण हैं, जिनमें सेक्स वर्कर्स किसी कस्टमर के बहकावे में अपने बच्चे तक छोड़कर लापता हो गईं। उन बच्चों को कोठा संचालिका या अन्य सेक्स वर्कर्स ने अपने बच्चों की तरह पाला-पोसा। एक पुराने समय की सेक्स वर्कर की कहानी तो कोठों पर अकसर सुनाई जाती है, जिसने अपने एक कस्टमर से ‘सच्चे प्यार’ का दावा किया तो कोठा संचालिका ने उसके लिए न सिर्फ शरीफों की कॉलोनी में घर खरीदकर दिया, बल्कि पालिका बाजार में दुकान भी दिलवाई, लेकिन कुछ समय बाद वह पूरी तरह तबाह हो गई। उसके पति ने उसके घर-दुकान, जूलरी आदि को बेच डाला। 

जीबी रोड पर कई बार सेक्स वर्कर्स और कस्टमर्स के बीच प्यार हो जाता है, ये अलग बात है कि हर कोई उसे शादी या रिलेशनशिप तक लेकर नहीं जाता। जो सेक्स वर्कर्स प्यार या शादी के चक्कर में कोठे छोड़कर जाती हैं, उनके लिए समाज में सामान्य जीवन बिताना आसान नहीं होता। प्यार और अहसास जैसे ही धुंधले पड़ते हैं, उनका अतीत सामने आने लगता है जिसके लिए सब कुछ छोड़ा, वही पिछली जिंदगी के ताने देकर छोड़ने की धमकी देता है। इसलिए जीबी रोड के कोठों का प्यार हमेशा संदेह की नजर से देखा जाता है। प्यार की आड़ में धोखा, शोषण, ठगी, मानव तस्करी के केस ज्यादा देखने-सुनने को मिलते हैं।

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