चुनावी मुद्दा बना गैस त्रासदी मामला, लोगों ने घरों के बाहर लगाए पोस्टर

भोपाल के हजारों लोगों को मौत के घाट उतारने वाली भोपाल गैस त्रासदी आज भी चुनावी मुद्दा बनी हुई है और मध्य प्रदेश में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में गैस कांड के पीड़ित लोग अपनी मांगों को लेकर एकजुट होते दिख रहे हैं.

यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के पास के रिहायशी इलाकों में रहने वाले कुछ लोगों ने अपने घरों के बाहर काले होर्डिंग्स टांग दिए हैं जिनमें लिखा है, ‘मुआवजा नही तो घर नहीं’. स्थानीय लोग इसके पीछे की वजह को सामने लाते हुए कह रहे हैं कि करीब 34 साल बीत जाने के बावजूद अलग-अलग राजनितिक दलों की सरकारों ने गैस पीड़ितों की कई वाजिब मांगों को अब तक पूरा नहीं किया.

इस कारण पीड़िग लोगों में खासी नाराजगी भी है. यही वजह है कि कुछ गैस पीड़ितों ने अपने क्षेत्र में नेताओं को वोट ना देने की अपील करते हुए होर्डिंग्स लगा दिए हैं. गैस पीड़ितों के अधिकार के लिए काम कर रहीं राशिदा बी का कहना है कि इस साल दिसंबर में गैस कांड त्रासदी को 34 साल पूरे हो जाएंगे, लेकिन गैस पीड़ितों का दर्द इतने साल बाद भी अब तक खत्म नहीं हुआ है.

राशिदा बी के मुताबिक इन 34 सालों में कई सरकारें आईं और कई सरकारें गईं, लेकिन गैस पीड़ितों के उचित मुआवजे की मांग पर किसी भी सरकार ने गंभीरता से विचार नहीं किया और ना ही जिन इलाकों में गैस पीड़ित रह रहे हैं वहां कुछ खास बदलाव ही हुआ. हर चुनाव में नेता आते हैं और वादा करके भूल जाते है.

इसलिए इस बार गैस पीड़ित संगठनों ने तय किया है कि जो सरकार लंबे समय से चली आ रही मांगों को पूरा करने का सच्चा वादा करेगी उसे ही वोट दिया जाएगा.

कांग्रेस का बीजेपी पर आरोप

कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी की सरकार ने बीते 15 सालों में गैस पीड़ितों की बेहतरी के लिए कुछ नहीं किया जबकि कांग्रेसके शासन में उनके लिए ना केवल पेंशन की व्यवस्था की गई बल्कि उनके लिए अलग से अस्पताल भी बनवाए गए.

बीजेपी ने किया सबसे ज्यादा काम

बीजेपी के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने गैस पीड़ितों के विरोध पर कहा कि बीजेपी के शासन में गैस पीड़ितों के लिए सबसे ज्यादा काम हुआ, और भविष्य में भी उनकी मांगों का ध्यान रखा जाएगा.

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