राजधानी देहरादून में गरजी जेसीबी, टीम के साथ दुकानदारों की हुई नोकझोंक

हाईकोर्ट के आदेश के बाद सोमवार को एक बार फिर से अतिक्रमण पर जेसीबी गरजी। अतिक्रमण हटाओ टास्क फोर्स ने नेशविला रोड और मसूरी डायवर्जन से मालसी डियर पार्क के बीच अभियान चला 76 अतिक्रमण ध्वस्त किए। वहीं, 240 अतिक्रमण चिह्नित किए। इस बीच नेशविला रोड पर दुकानदारों की टीम के साथ नोकझोंक हुई। अधिकारियों के नक्शा दिखाने के बाद उन्होंने अतिक्रमण ध्वस्त कराया। हंगामे की आशंका को देखते हुए पुलिस बल भी तैनात रहा।

टीम ने नेशविला रोड पर अभियान चलाया। इस दौरान दुकानदारों ने अभियान को लेकर नाराजगी जताई। उनका कहना था कि सोमवार से उन्होंने अतिक्रमण नहीं किया। जिस पर टीम ने नक्शा दिखाकर दोबारा नपाई की। जिसके बाद अतिक्रमण मिलने पर उसे ध्वस्त किया गया। वहीं, दूसरी ओर मसूरी डायवर्जन से मालसी डियर पार्क के बीच अभियान चला। कार्रवाई से अतिक्रमणकारियों में अफरा-तफरी मच गई। अधिकतर जगहों पर प्रशासन की कार्रवाई के बाद दुकानदारों ने खुद ही अतिक्रमण ध्वस्त करना शुरू कर दिया। अब तक 1566 ध्वस्तीकरण, 4340 चिह्नीकरण व 88 भवनों के सीलिंग की कार्रवाई की जा चुकी है। 26 से पूरे होगी हाईकोर्ट की मियाद

अतिक्रमण हटाओ टास्क फोर्स के प्रभारी आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि बीते 18 जून को हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को देहरादून शहर का अतिक्रमण चार सप्ताह में ध्वस्त करने के आदेश दिए थे। 26 जून को आदेश की कॉपी मिलने के बाद अतिक्रमण हटाओ टास्क फोर्स ने 28 जून से अभियान शुरू किया था। हमें 26 को आदेश की कॉपी मिली है, ऐसे में हम 26 से ही चार सप्ताह माने जाने का अनुरोध करेंगे।

ट्रैक्टर-ट्रॉली और डंपर से उठवाया मलबा

प्रशासन की ओर से अवैध निर्माण ध्वस्त करने के बाद निकले मलबे को नगर निगम और लोनिवि के वाहनों से उठवाया गया। वहीं, कई दुकानदारों ने ध्वस्तीकरण के बाद अपना मलबा खुद ही उठवाया। अतिक्रमण हटाओ टास्क फोर्स ने सोमवार को जीएमएस रोड, टर्नर रोड समेत कई जगहों पर चिह्नीकरण किया। जिसके कारण अतिक्रमणकारियों में हड़कंप मच गया। जीएमएस रोड पर तो कुछ लोगों ने आज ही अतिक्रमण तोड़ना शुरू कर दिया।

पूर्व विधायक राजकुमार ने कहा कि प्रदेश में मलिन बस्तियां 1977 से 1980 के बीच बसी हुई है। यहां सभी सरकारों ने सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं। आज उन्हें अतिक्रमण के नाम पर हटाना गलत है। कहा कि वह अभियान के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की शरण लेंगे। कहा कि राजधानी में 129 और प्रदेश में 582 मलिन बस्तियां हैं। हाईकोर्ट के आदेश पर इन्हें तोड़ा गया तो आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने पूर्ववर्ती सरकार के मलिन बस्तियों को मालिकाना हक देने को बने अधिनियम को लागू करने की मांग की। कहा कि विधानसभा समेत कई सरकारी कार्यालय नदी किनारे बने हैं, उन्हें भी नोटिस देकर कार्रवाई करनी चाहिए।

अतिक्रमण के खिलाफ सोमवार से अभियान फिर से शुरू किया गया है। ध्वस्तीकरण के साथ ही चिह्नीकरण की कार्रवाई की गई है। हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक अतिक्रमण के खिलाफ अभियान जारी रहेगा

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