कुंभ मेले के दौरान नालों का प्रदूषित पानी शोधित करने के बाद ही गंगा में डाला जाएगा। सोमवार को गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई ने इसकी तैयारियां शुरू कर दीं।
इसके तहत नालों का प्रदूषित पानी शोधित करने के लिए उसमें ऐसे बैक्टीरिया (एंजाइम) डाले जाएंगे, जो प्रदूषण को अवशोषित कर लेते हैं, जिससे पानी प्रदूषण मुक्त हो जाता है। इस प्रक्रिया को रेमेडिएशन कहा जाता हैं।
कुंभ मेले के दौरान संगम में शुद्ध पानी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शासन में अनु सचिव गुलाब ने आदेश दिए हैं कि 15 दिसंबर से 15 मार्च 2019 तक गढ़मुक्तेश्वर से काशी के बीच घरेलू सीवेज और उद्योग से निकलने वाले कचरे को गंगा में जाने से रोका जाए।
नगर विकास विभाग गंगा में गिर रहे नालों को टैप करे, जो नाले टैप नहीं हो सकते, उनके पानी को प्रदूषण मुक्त करने की व्यवस्था रेमेडिएशन विधि से करे। इस कार्य को 15 दिसंबर से पहले पूरा करने को कहा गया है।
गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के महाप्रबंधक आरके अग्रवाल ने बताया कि शासन के आदेश पर नालों के पानी को प्रदूषण मुक्त करने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। उन्होंने बताया कि नालों के प्रदूषित पानी को प्रदूषण मुक्त करने की प्रक्रिया को रेमेडिएशन कहा जाता है।
इसके तहत नालों में एंजाइम (एक तरह का बैक्टीरिया) डाला जाता है, जिससे पानी में शामिल हानिकारक तत्व खत्म हो जाते हैं।
टेनरियों से वसूली का आदेश
शासन ने नगर आयुक्त, जल निगम के प्रबंध निदेशक, जल निगम के मुख्य अभियंता (कानपुर परिक्षेत्र) और गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के महाप्रबंधक को आदेश दिया है कि टेनरियों से उनकी उत्पादन क्षमता के आधार पर वसूली के लिए बिल जारी करें। नगर विकास विभाग को जाजमऊ स्थित सीईटीपी के संचालन के लिए जल निगम को 17.88 करोड़ रुपये देने का आदेश भी दिया है।
गंगा में गिर रहे नाले – 16
टैप किए जा रहे नाले – 8 (सीसामऊ, नवाबगंज, ज्यौरा, टीबी अस्पताल, केस्को कालोनी, रोडवेज कालोनी नाला, म्योर मिल नाला, गुप्तार घाट नाला)
टैप नाले – 2 (एयरफोर्स नाला, जेल नाला)
इन नालों में होगा रेमेडिएशन
नाले का नाम इनसे रोज गंगा में जा रहा गंदा पानी
गोलाघाट 0.14 करोड़ लीटर
सत्तीचौरा 0.20 करोड़ लीटर
दबका 0.20 करोड़ लीटर
शीतला बाजार 0.56 करोड़ लीटर
बाजिदपुर 0.75 करोड़ लीटर
बुढ़ियाघाट 0.25 करोड़ लीटर
योेग 2.10 करोड़ लीटर