जीवन में बार-बार परेशानी दे दस्तक तो आपके घर की सीढ़ियां है इसकी जिम्मेदार, जानिये क्यों?

संसारिक जीवन में मनुष्य बहुत से अच्छे बुरे रास्तों से टकराता है। व्यक्ति अपने जीवन में सब परफेक्ट करने में ही अपना सारा जीवन व्यतीत कर देता लेकिन होता वही है जो हमारे नसीब में लिख चूका होता है। हिन्दू धर्म में अपने जीवन को सरल तथा खुशनुमा बनाने के लिए कुछ जरुरी तथ्य का वर्णन किया गया है। घर में आये दिन कोई न कोई परेशानी जन्म लेती ही रहती है, एक परेशानी का अंत नहीं हो पाता और दूसरी परेशानी घर के दरवाजे पर अंदर आने के लिए खड़ी ही रहती है ऐसे मे आपके भी मन में कई ख्याल आते होंगे की आखिर ऐसा क्यों होता है? 

तो चलिए आज हम आपको इसका भी एक कारण बता देते हैं दरअसल आपके घर में ऐसे परेशानी का बार-बार आना आपके घर में बना जीना भी हो सकता है। जिससे वास्तु दोष उत्पन्न होता है तो चलिए जानते हैं की आखिर कैसे जीने का वास्तु दोष दूर किया जाए। वास्तुशास्त्र के अनुसार घर में सीढ़ियां बनवाने के लिए सबसे सही दिशा दक्षिण, पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम होती है। अगर सीढ़ियां सही स्थान पर बनी हों तो जीवन के बहुत से उतार-चढ़ाव व कठिनाइयों से बचा जा सकता है। सीढ़ियों को अगर सही दिशा में न बनाया गया हो, तो यह एक गंभीर वास्तुदोष माना जाता है। 

इस दोष के कारण मनुष्य को अनावश्यक आर्थिक व निजी जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। सीढ़ियों के टूटे किनारे वास्तु-दोष उत्पन्न करते हैं। अतः इनकी मरम्मत समय रहते करवा लेनी चाहिए। सीढ़ियों के नीचे रसोई घर, पूजा घर, स्नान घर आदि न बनवाएं। हां, वहां स्टोर रूम बनाया जा सकता है। घर के केन्द्र में (ब्रह्मस्थान में) सीढ़ियां होने से घर के सदस्यों को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है। सीढ़ियों की ऊंचाई व चौड़ाई इस आकार में हो कि बच्चा व बूढ़ा आसानी से बिना थके चढ़ सके। सीढ़ियों की ऊंचाई सात इंच तथा चौड़ाई दस इंच से एक फुट तक हो सकती है।

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