Fortis मामला: मेरी बच्ची के कफन तक के 700 रुपए वसूल लिए: मां का आरोप

गुड़गांव/नई दिल्ली. यहां के फोर्टिस हॉस्पिटल में डेंगू पीड़ित 7 साल आद्या के इलाज के एवज में 15.69 लाख रुपए वसूलने की जांच डॉक्टर्स की तीन सदस्यीय कमेटी करेगी। चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ. बीके राजौरा ने समिति को एक दिन में जांच कर रिपोर्ट सौंपने को कहा है। उधर, बच्ची की मां दीप्ती सिंह ने कहा- “बेटी की मौत के बाद जिस कपड़े में बॉडी को लपेट कर दिया गया, फोर्टिस हॉस्पिटल ने उसके भी 700 रुपए वसूल किए। इस मामले में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने हरियाणा के चीफ सेक्रेटरी अमित झा जांच करने को कहा है।Fortis मामला: मेरी बच्ची के कफन तक के 700 रुपए वसूल लिए: मां का आरोप

आखिरी वक्त में बेटी भूखी थी, खाना न खिलाने का मलाल: आद्या की मां

– दीप्ती ने बताया, “आखिरी वक्त में उनकी बेटी भूखी थी और उसे खाना न खिलाने का मलाल उन्हें जिंदगी भर सताएगा।”

– दीप्ती बताया कि आद्या की एक किडनी खराब हो गई थी। इसके चलते उसे जरूरत के मुताबिक ही पानी देने को कहा गया। ऐसे में बेटी भूख और प्यास से मेरे सामने तड़पती रही। बेटी को इस हाल में न देख पाने के चलते हमने डॉक्टर से बेटी को पानी पिलाने की परमिशन मांगी। डॉक्टर के कहने के बाद नर्स ने आद्या को 5 एमएल पानी देना शुरू कर दिया।

आधा घंटे के बाद कहा खतरे में है बेटी

– दीप्ती के अनुसार- “मैं 9 बजे तक अपनी बेटी के साथ थीं। डॉक्टर ने मुझे रूम से बाहर कर दिया आैर फिर आधे घंटे बाद बताया कि बेटी वेंटिलेटर पर है और उसकी हालत खतरे में है। जबकि आधा घंटे पहले ही आद्या को उन्होंने घर ले जाने की बात कही थी।”

24 घंटे में सिर्फ 10 मिनट ही बात करते थे डॉक्टर

– दीप्ती ने बताया- “फोर्टिस अस्पताल के डॉक्टर 24 घंटे में सिर्फ 5 से 10 मिनट ही हम लोगों से बात करते थे। बार-बार जब बच्ची के ब्रेन के टेस्ट के लिए एमआरआई और सीटी स्कैन लगाने की मांग की जाती तो डॉक्टर कहते थे कि बच्ची का शरीर इस टेस्ट के लिए तैयार नहीं है। वीकेंड पर कोई डॉक्टर न होने की वजह से बच्ची की हेल्थ की जानकारी नहीं मिलती थी।”

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पीली पड़ रहीं थीं आंखें, डॉक्टर बोले- दवाई का असर

– दीप्ती के मुताबिक, “आखिरी तीन से चार दिनों में हॉस्पिटल के स्टाफ का बर्ताव हमें लेकर बदल गया था। वे हमसे बात करने की बजाय बचते नजर आ रहे थे। बच्ची के शरीर पर दूर से कुछ नीले निशान नजर आ रहे थे। उसकी आंखें पीली पड़ने लगी थी, जबकि डॉक्टर कहते कि यह दवाइयों का असर है।”

बिल देखकर पता चला कि एक्सपर्ट डॉक्टर आए थे

– बच्ची के पिता जयंत ने बताया कि 15 दिन का कुल बिल 15.79 लाख रुपए बना। इससे ही पता चला कि बच्ची की जांच के लिए एक्सपर्ट आए थे। शुरुआत में 3100 रुपए का एक-एक इंजेक्शन लगा और आखिरी दिनों में 500-500 रुपए का, जबकि हमें इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी।

– “जब हम बच्ची को ले जाने के लिए तैयार हुए तो अस्पताल ने बिल बनाने में आठ घंटे लगा दिए। कहा गया कि बच्ची की सांस चल रही है, इसलिए उसे एंबुलेंस नहीं दी जाएगी और उसका डेथ सर्टिफिकेट नहीं बनाएंगे।”

क्या है मामला?

– यह मामला दिल्ली के द्वारका में रहने वाले जयंत सिंह की बेटी आद्या से जुड़ा है। आईटी प्रोफेशनल सिंह की 7 साल की बेटी आद्या को 27 अगस्त से तेज बुखार था।

– दूसरी क्लास की स्टूडेंट आद्या को 31 अगस्त को गुड़गांव के फोर्टिस हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। आद्या का 15 दिन इलाज चला। 10 दिन वह लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रही। 14 सितंबर को परिवार ने उसे फोर्टिस से ले जाने का फैसला किया, लेकिन उसी दिन बच्ची की मौत हो गई।

मामला कैसे सामने आया?

– दरअसल, बच्ची के पिता जयंत सिंह के एक दोस्त ने @DopeFloat नाम के हैंडल से 17 नवंबर को हॉस्पिटल के बिल की कॉपी के साथ ट्विटर पर पूरी घटना शेयर की।
– उन्होंने लिखा, ”मेरे साथी की 7 साल की बेटी डेंगू के इलाज के लिए 15 दिन तक फोर्टिस हॉस्पिटल में भर्ती रही। हॉस्पिटल ने इसके लिए उन्हें 16 लाख का बिल दिया। इसमें 2700 दस्ताने और 660 सिरिंज भी शामिल थीं। आखिर में बच्ची की मौत हो गई।”
– 4 दिन के भीतर ही इस पोस्ट को 9000 से ज्यादा यूजर्स ने रीट्वीट किया। इसके बाद हेल्थ मिनिस्टर जेपी नड्डा ने हॉस्पिटल से रिपोर्ट मांगी।
– नड्डा ने ट्वीट किया, ”कृपया अपनी सभी जानकारियां hfwminister@gov.in पर मुझे भेजें। हम सभी जरूरी कार्रवाई करेंगे।”

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गुड़गांव सीएमओ ने तीन डॉक्टरों को सौंपी जांच

– इस मामले की जांच डॉक्टर्स की तीन सदस्यीय कमेटी करेगी। गुड़गांव के चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ. बीके राजौरा ने कमेटी को एक दिन में जांच कर रिपोर्ट सौंपने को कहा है। इस टीम में जिला मलेरिया अधिकारी डाॅ. एस सरोहा, चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. बीना सिंह और एपीडेमिक (महामारी) स्पेशलिस्ट डॉ. राम प्रकाश को शामिल किया गया है।

 

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