फ्लाइंग आफिसर भावना ने अकेले फाइटर प्‍लेन में उड़ान भर रचा इतिहास

अंबाला। यहां एयरफोर्स स्टेशन से फ्लाइंग आफिसर भावना कंठ ने अकेले 30 मिनट तक लड़ाकू विमान (मिग 21) उड़ाकर इतिहास रच दिया। ऐसा करने वाली भावना भारतीय वायुसेना की दूसरी महिला पायलट हैं। इससे पहले फ्लाइंग ऑफिसर अवनी चतुर्वेदी ने मिग-21 बाइजन एयरक्राफ्ट लड़ाकू विमान को अकेले उड़ाकर महिलाओं की बढ़ती ताकत को नए पंख लगाए थे।

फ्लाइंग ऑफिसर भावना कंठ भारतीय वायु सेना की है दूसरी महिला पायलट

वायुसेना में करीब 1500 महिलाएं हैं, जो विभिन्न विभागों में काम कर रही हैं। वर्ष 1991 से ही महिलाएं हेलीकॉप्टर और ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट उड़ा रही हैं, लेकिन फाइटर प्लेन से उन्हें दूर रखा जाता था। वर्ष 1948 में अंबाला में एयरफोर्स स्टेशन स्थापित हुआ था।

बिहार के दरभंगा जिले की रहने वाली भावना का जन्‍म बेगुसराय जिले के बरौनी रिफाइनरी में हुई थी। उनके पिता इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन में इंजीनियर और मां गृहिणी हैं। बरौनी रिफाइनरी के डीएवी पब्लिक स्कूल से पढ़ाई के बाद भावना ने बीएमएस कॉलेज बेंगलूरू से इंजीनियरिंग की। भावना बचपन से ही पक्षी की तरह उड़ना चाहती थीं और उनका यह सपना आधिकार सच हो गया है। वह फाइटर पायलट के तौर पर देश की सेवा करना चाहती हैं।

अवनी चतुर्वेदी, भावना कंठ और मोहना सिंह ने मार्च में ही लड़ाकू विमान उड़ाने की योग्यता हासिल कर ली थी। इसके बाद उन्हें युद्धक विमान उड़ाने का गहन प्रशिक्षण दिया गया। यह पहला मौका रहा जब भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान की कॉकपिट में कोई महिला अकेली बैठी।

इस ऐतिहासिक उपलब्धि में राजस्थान, मध्यप्रदेश और बिहार भी भागीदार बना है। मोहना सिंह, अवनी चतुर्वेदी और भावना कंठ इन्हीं राज्यों से ताल्लुक रखती हैं। फ्लाइंग ऑफिसर अवनी चतुर्वेदी के बाद अब फ्लाइंग ऑफिसर भावना कंठ ने इतिहास में अपना नाम दर्ज करा लिया है।

भावना ने 150 घंटे तक फाइटर प्लेन उड़ाने की ली ली ट्रेनिंग

साल 2014 में उसे भारतीय वायुसेना में शार्ट सर्विस कमीशन मिला और उसके बाद उसे फाइटर पायलट की ट्रेनिंग के लिए चुना गया। हैदराबाद के एयरक्राफ्रट एकेडमी में उन्होंने फाइटर प्लेन उड़ाने की ट्रेनिंग में जम कर पसीना बहाया और अपने बचपन के सपनों को अपने हौसले से सच कर डाला। उन्‍होंने 150 घंटे तक फाइटर प्लेन उड़ाने की ट्रेनिंग ली थी।

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