जम्मू सेक्स स्कैंडल मामला: BSF के पूर्व DIG पांधी सहित पांच को 10-10 साल कैद

चंडीगढ़। यहां विशेष सीबीआइ अदालत ने 12 साल पुराने बहुचर्चित जम्मू सेक्स स्कैंडल मामले में  बीएसएफ के पूर्व डीआइजी और तत्कालीन डीएसपी को 10-10 साल क़ैद और एक-एक लाख जुर्माने की सजा सुनाई। तीन अन्‍य दोषियों को 10-10 साल की क़ैद और 50-50 हज़ार जुर्माने की सजा सुनाई गई है। इस मामले में 30 मई को कोर्ट ने बीएसएफ के पूर्व डीआइजी केसी पांधी, तत्कालीन डीएसपी मोहम्मद अशरफ मीर सहित पांच लोगों को दोषी करार दिया था।जम्मू सेक्स स्कैंडल मामला: BSF के पूर्व DIG पांधी सहित पांच को 10-10 साल कैद

विशेष सीबीआइ अदालत सुनाया फैसला, दो दो‍षियाें को एक-एक लाख और तीन को 50-50 हजार जुर्माना

इस मामले में 30 मई को आरोपितों को दोषी करार दिए जाने के बाद बचाव पक्ष की तरफ से सजा में नरमी बरतने की अपील की गई थी। बीएसएफ के पूर्व डीआइजी के वकील ने कहा कि पांधी ने देश के लिए आतंकियों के साथ जंग की है और उन्होंने करीब 40 आतंकियों को मारा भी है। इसीलिए इनकी सजा पर नरमी बरती जाए।

पूर्व बीएसएफ डीआईजी, पूर्व डीएसपी सहित पांच हो अदालत ने पहले दोषी करार दिया था

दूसरी ओर, सरकारी वकील ने कहा कि इनको कानूनी व्यवस्था को कायम रखने को लेकर तैनात किया गया था। डीआइजी केसी पांधी और तत्कालीन डीएसपी मोहम्मद अशरफ मीर को पीडि़ता को सुरक्षा देनी चाहिए थी। लेकिन, इन्‍होंने ऐसा नहीं किया। सरकारी वकील ने कोर्ट में सभी आरोपितों को सख्त से सख्त सजा सुनाने की अपील की। इसके बाद कोर्ट ने सजा पर फैसला की तारीख 6 जून तय कर दी थी।

बता दें कि इस मामले में मार्च 2006 को श्रीनगर स्थित पुरशियार मोहल्ला निवासी बशीर अहमद को किसी बच्चे ने एक पॉर्न क्लिप देते हुए बताया कि इस क्लिप में उन्हीं के मोहल्ले की रहने वाली एक लड़की है। इसके बाद वह वीडियो क्लिप समाज सुधार कमेटी को दिया गया और उसकी सीडी बनाकर पुलिस को शिकायत भी दी गई। पुलिस ने जब  जांच शुरू की तब पता चला कि सबीना नाम की एक महिला अपने घर पर देह व्यापार चला रही थी और वहीं इस लड़की के साथ दुष्कर्म भी हुआ था।

मामले में मुख्य आरोपित पति-पत्नी की मौत हो चुकी है। मामले सामने आने के बाद चार्जशीट में जम्मू और कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का नाम भी आया था और इसके बाद उन्‍होंने अपने पद से त्यागपत्र भी दे दिया था। लेकिन, तत्कालीन राज्‍यपाल एनएन वोहरा ने उनका त्यागपत्र स्वीकार नहीं किया था। हालांकि उनका नाम जुलाई 2009 में केस से हटा दिया गया था।

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