भय्यू जी महाराज का महंगा शौक तो नहीं बना सुसाइड का फैक्‍टर

इंदौर । भय्यू जी महाराज आत्‍महत्‍या मामले को उनके महंगे शौक से जोड़कर देखा जा रहा है। इस बाबत कुछ लोगों का तर्क है कि वह बहुत अधिक कर्ज में डूब गए थे। इसलिए उन्‍होंने ऐसा कदम उठाया, लेकिन महराज के निकटतम लोगों को यह दावा रास नहीं आ रहा है। उनके समर्थकों का यह विश्‍वास अनायास नहीं है। आइए जानते हैं समर्थकों के दावों को और उसका सच।भय्यू जी महाराज का महंगा शौक तो नहीं बना सुसाइड का फैक्‍टर

BMW के लिए 23 लाख रुपये का भुगतान 
कर्ज से परेशान होते तो एक महीने पहले ही भय्यू महाराज बीएमडब्ल्यू बुक नहीं कराते, न ही लाखों रुपये घर के नवीनीकरण पर खर्च करते। बीएमडब्ल्यू के लिए 23 लाख रुपये का भुगतान कर चुके थे और 40 लाख का लोन आइसीआइसीआइ बैंक से कराया गया था। इसके लिए ही उन्होंने अपनी लक्जरी कार का सौदा भी 28 लाख में किया था। महाराज कोई भी गाड़ी पांच-छह साल से ज्यादा इस्तेमाल नहीं करते थे। ‘शिवनेरी’ के नवीनीकरण के लिए भी एक करोड़ से ज्यादा खर्च कर चुके थे।

20 लाख में ऑडी बेची, मस्टंग बेचने गए थे
शुक्रवार रात महाराज के सेवादार विनायक से एएसपी प्रशांत चौबे ने तीन घंटे पूछताछ की। विनायक ने बताया कि वह करीब 10 साल से सूर्योदय आश्रम से जुड़ा है। वह गुरूजी से वेतन नहीं लेते । गुरूजी ने मकान दिलवाया, बैंक खाते भी उसके नाम से खुलवाए। गुरूजी के मकानों व गाडि़यों पर लोन है। कुछ दिन पूर्व 20 लाख रुपये में ऑडी कार बेची थी। उन्होंने घटना के पूर्व मुझे मस्टंग कार बेचने का कहा था। उनके कहने पर एबी रोड स्थित कार शोरूम पर गाड़ी की कीमत जानने गया था।

कुहू को विदेश में सेटल करने के लिए 10 लाख रुपये का लिया कर्ज
यह कहना है भय्यू महाराज के नजदीकियों का। उनका कहना है बेटी कुहू को विदेश में सेटल करने के लिए 10 लाख जैसी छोटी राशि के लिए कर्ज के दबाव में आत्महत्या करने की बात भी गले नहीं उतर रही है। पत्नी और बेटी का विवाद भी कुहू के विदेश जाने के बाद समाप्त होने वाला था।

इन दोनों बिंदुओं के अलावा भी घटना के अन्य पक्ष की जांच की जानी चाहिए। अभी भी ऐसे कई लोग हैं जो रहस्य से पर्दा उठा सकते हैं, लेकिन उनके बयान नहीं हुए। उनका कहना है कि सद्गुर दत्त पारमार्थिक ट्रस्ट पर भी कर्ज होने की बात निराधार है। ट्रस्ट पर कोई कर्ज नहीं है। हर साल ट्रस्ट द्वारा नए प्रोजेक्ट शुरू किए गए हैं।

लाखों के उपहार दे जाते थे लोग
भय्यू महाराज रोलेक्स की घडि़यां, सोने की अंगूठी, महंगे रत्न पहनते थे। कई भक्त उन्हें महंगे उपहार देते थे। कई अपने आय में हिस्सेदार भी बनाते थे और हिस्से की राशि देकर चले जाते थे। ये उपहार अभी कहां हैं, इनका भी पता लगाया जाना चाहिए। किसी अन्य बिंदु को छिपाने के लिए आर्थिक समस्या को किसी साजिश के तहत तो सामने नहीं लाया जा रहा है।

उनसे जुड़े लोगों की संपत्ति की भी हो जांच
नजदीकी लोगों का कहना है कि ऐसे कुछ लोग हैं जो पिछले कुछ सालों में महाराज से जुड़ने के बाद रईस हुए हैं। उनकी संपत्ति की भी जांच होनी चाहिए। महाराज के अन्य ‘इन्वेस्टमेंट’ की भी जांच होना चाहिए, जिसकी जानकारी परिवार को भी नहीं है।

दोबारा हो गए थे सक्रिय, लेने लगे थे बैठक
महाराज शादी के बाद कुछ दिन आश्रम की गतिविधियों से दूर रहने के बाद दोबारा सक्रिय हो गए थे। आश्रम में अप्रैल से भक्तों की बैठक लेने लगे थे। मजदूर दिवस पर मुंबई में भी कई कार्यक्रम में शामिल हुए। मराठवाड़ा और गुजरात भी गए।

हर काम होता था प्लानिंग से, फिर क्यों नहीं बनाई वसीयत
संस्था से जुड़े लोग कहते हैं कि महाराज हर काम प्लानिंग से करते थे। हर प्रोजेक्ट का पूरा खाका कागज पर बनाते थे। रोज डायरी लिखते थे। इतना बड़ा कदम उन्होंने यूं ही नहीं उठाया होगा। हम लोगों को भी हर चीज की इंट्री करने की सख्त हिदायत देते थे। ऐसे में उन्होंने सुसाइड नोट लिखा, लेकिन वसीयत नहीं बनाई, यह समझ से परे है। अपनों के लिए एक लाइन में भी कोई बात नहीं कही। न कुहू के लिए, न ही चार महीने की बेटी का उल्लेख किया।

ट्रस्ट पर किसी प्रकार का कर्ज नहीं
सद्गुरु दत्त धार्मिक एवं पारमार्थिक ट्रस्ट के सचिव तुषार पटेल ने बताया कि ट्रस्ट पर कर्ज की बात निराधार है। मैं दस साल की ऑडिट रिपोर्ट आपको दिखा सकता हूं। हमने हर साल पिछले साल के मुकाबले अधिक नए प्रोजेक्ट पर काम किया है।  

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