महापौर के लिए अनुभव और वरिष्ठता ने लगाई दिनेश के नाम पर मुहर

देहरादून: शहर के वरिष्ठ व अनुभवी कांग्रेसी नेताओं में शुमार दिनेश अग्रवाल को उनके लंबे राजनीतिक कॅरियर व पार्टी के भीतर ‘कद’ का लाभ मिला। लगातार तीन बार विधायक व पूर्व काबीना मंत्री का अनुभव अन्य दावेदारों पर भारी पड़ा। यह ऐसे कुछ प्रमुख कारण हैं, जिससे दिनेश अग्रवाल के नाम पर मुहर लगाने में कांग्रेस को ज्यादा विचार नहीं करना पड़ा। 

वर्ष 1972 से अब तक कांग्रेस के भीतर एक अनुशासित सिपाही की छवि के कारण दिनेश अग्रवाल की दावेदारी को लेकर पार्टी के भीतर असंतोष जैसी स्थिति पैदा नहीं हुई। महापौर पद के लिए जितने भी कांग्रेसी नेताओं ने दावेदारी की थी, उनके सामने दिनेश अग्रवाल का कद काफी बड़ा था, जिससे उनके नाम को लेकर विरोध की भी स्थिति देखने को नहीं मिली। 

महापौर के दूसरे प्रबल दावेदारों में शामिल प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि खुद उन्होंने एवं अन्य नेताओं ने दिनेश अग्रवाल के नाम का प्रस्ताव रखा था।

जीत के लिए एकजुटता की चुनौती से पार पाना जरूरी

शुरुआत में महापौर पद के लिए दिनेश अग्रवाल के नाम पर चर्चा नहीं थी और खुद उनकी तरफ से भी टिकट को लेकर कोई खास सक्रियता नहीं दिखाई जा रही थी। इसके चलते पार्टी में महापौर पद का टिकट पाने के लिए कई पदाधिकारियों ने जोर आजमाइश भी शुरू कर दी थी। 

इनमें महिला सेवादल की प्रदेश अध्यक्ष हेमा पुरोहित, पूर्व महानगर अध्यक्ष पृथ्वीराज चौहान, आशा मनोरमा डोबरियाल शर्मा जैसे नाम थे। अंतिम समय तक भी ये चेहरे टिकट को लेकर आस लगाए बैठे थे। जब दिनेश अग्रवाल का नाम सामने आने लगे तो बेशक अन्य दावेदारों ने कदम पीछे खींच लिए, मगर इतने से बात नहीं बनने वाली। चुनाव जीतने के लिए इन सभी को एक मंच पर लाकर पार्टी के पक्ष में मैदान में उतारना भी जरूरी है।

इनके अलावा शुरुआती दौर में कांग्रेस के पूर्व विधायक राजकुमार को भी महापौर की दौड़ में बड़ा चेहरा माना जा रहा था। पार्टी का एक बड़ा तबका उनकी पार्टी के प्रति समर्पित भावना एवं सहज व्यक्तित्व वाली छवि के चलते उन्हें दावेदार बनाने के पक्ष में था। 

हालांकि दिनेश अग्रवाल का नाम सामने आने पर वह भी पीछे हट गए। अब यह देखने वाली बात है कि आलाकमान किस तरह इन सभी दावेदारों को खुलकर पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में काम करने के लिए तैयार कर पाता है।

दिनेश अग्रवाल का संक्षिप्त परिचय

कांग्रेस से महापौर पद के प्रत्याशी दिनेश अग्रवाल ने पार्टी वर्ष 1968 में ज्वाइन की। वर्ष 1972 से 2000 तक वह पार्टी के विभिन्न अहम पदों पर रहे। उन्हें 2001-2002 में बार एसोसिएशन देहरादून के अध्यक्ष चुना गया। कई सामाजिक कार्यों के लिए उन्हें पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। जिसमें उत्तराखंड रत्न प्रमुख सम्मान है।

राजनीतिक सफर

राज्य गठन के बाद वर्ष 2002 में हुए उत्तराखंड के पहले विधानसभा चुनाव में लक्ष्मण चौक विधानसभा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री स्व. नित्यानंद स्वामी को पराजित कर दिनेश अग्र्रवाल विधायक बने। इसके बाद वर्ष 2007 में लगातार दूसरी बार वह लक्ष्मण चौक विस क्षेत्र से जीते। 

वर्ष 2012 के चुनाव में वह तीसरी बार धर्मपुर विस क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए। लगातार तीन बार विधायक चुने जाने पर उन्हें कांग्रेस सरकार में खेल, वन, वन्यजीव व कानून मंत्री बनाया गया।

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