महाचुनाव 2019 से पहले EVM पर रहेगी सभी विरोधियों की नजर

अपने अगले प्रधानमंत्री का सपना देखने वाली कांग्रेस पार्टी का अधिवेशन इस मांग के साथ तेज हो रहा है कि देश में लोकतंत्र की एक प्रक्रिया पूरी तरह बदल जाए। आधुनिक भारत जिस तरीके से देश के लोकतंत्र को चला रहा है, उसमें एक बदलाव की मांग को कांग्रेस पार्टी ने बड़े स्तर पर हवा दे दी है। कांग्रेस चाहती है कि देश के अगले लोकसभा चुनाव का नतीजा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के भरोसे ना रहे बल्कि ये चुनाव बैलेट पेपर्स से हों।

महाचुनाव 2019 से पहले EVM पर रहेगी सभी विरोधियों की नजरकांग्रेस के 84वें अधिवेशन में ये मांग जोर पकड़ती दिखाई दे रही है। बता दें कि देश की कई और राष्ट्रीय पार्टियां हैं जो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम के खिलाफ हैं, EVM पर भरोसा खोने वाली अरिंद केजरीवाल की पार्टी के साथ-साथ यूपी की सपा और बसपा भी इसी पक्ष में है कि देश में चुनाव के तौर-तरीके बदले जाएं। सपा और बसपा का तो सीधा आरोप है कि बीजेपी का EVM धांधलियों में सीधा हाथ है।

दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने जब EVM का विरोध किया था तो पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस ने उनका साथ दिया था। ऐसे में कई राष्ट्रीय पार्टियां अगर साथ आकर इस मुद्दे पर बदलाव की मांग करेंगे तो आने वाले चुनाव पर इसका सीधा असर पड़ सकता है। लोकहित में फैसला लेने वाली संसद में ये मुद्दा उठा तो कई पार्टियां बैलेट पेपर से वोटिंग के पक्ष में एकसाथ आ सकतीं हैं।

जिस तरह से कांग्रेस ने अपने अधिवेशन में इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है उससे तो लग रहा है कि आने वाले भविष्य में सियायी भूचाल की एक वजह EVM रहने वाला है। वैसे ये तो है कि कांग्रेस ने जिस मंच से EVM का मुद्दा उठाया है उसने यूपीए को साथ लेकर इस पर बड़ी लड़ाई का फैसला तो ले ही लिया गया है।

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