सोशल मीडिया के लिए भी आचार संहिता बनाएगा चुनाव आयोग

फेसबुक डाटा लीक के जरिए सोशल मीडिया कैंपेन से चुनावों को प्रभावित करने का मामला सामने आने के बाद अब चुनाव आयोग सख्ती करने जा रहा है। मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने कहा कि राष्ट्रीय चुनाव आयोग जल्द सोशल मीडिया के लिए अचार-संहिता लागू करेगा। देश में अगर किसी कंपनी को सोशल प्लेटफार्म चलाना है तो उसे इस आचार संहिता का पालन करना पड़ेगा। सोशल मीडिया के लिए भी आचार संहिता बनाएगा चुनाव आयोग

 

फेसबुक-कैंब्रिज एनालिटिका मुद्दे पर सीईसी रावत ने कहा कि हम सोशल मीडिया के लिए एक आचार संहिता तैयार कर रहे हैं, ताकि मतदाता को सोशल मीडिया द्वारा किसी भी तरह से प्रभावित नहीं किया जा सके। उसका निर्वहन देश में सोशल वेबसाइट को प्रवेश के साथ ही करना होगा। इसमें स्पष्ट रूप से भारतीय मतदाताओं का डाटा सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी भी शामिल होगी। 

चुनाव में भारत में सबसे कम खर्च
सीईसी ने कहा कि अगर आप वैश्विक तुलना करें तो हमारे चुनाव सबसे सस्ते होते हैं। एक वोट पर एक डॉलर के करीब खर्च होता है, लेकिन हमारे मानकों से देखें तो खर्चे लगातार चुनावों में बढ़ रहे हैं। ऐसे खर्च भी बढ़ रहे हैं, जैसे पोलिंग स्टेशन पर हमने वेबकास्टिंग शुरू की ताकि हम यहां बैठकर देख सकें कि कौन गड़बड़ी कर रहा है। वीडियोग्राफी शुरू की और तमाम तकनीकी एप्लीकेशन बनाने शुरू किए। इस पर अतिरिक्त खर्च आता है। तब भी हमारे देश में अभी चुनाव सबसे कम खर्च में होता है।

एकसाथ चुनाव से खर्च में आएगी कमी
सीईसी ने कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एकसाथ कराने से जाहिर तौर पर खर्च में कमी आएगी, क्योंकि अलग.अलग चुनाव कराने में खर्च का दोहरा भार पड़ता है। पोलिंग स्टेशन, पोलिंग पार्टी और निगरानी समेत अन्य में खर्च कम होगा। सारे राजनीतिक दल एक हो जाएं तो यह संभव है या नहीं के सवाल पर सीईसी ने कहा कि सारे दल एकमत हो तो संविधान संशोधन हो जाएगा और यह संभव होगा, लेकिन वह सारे एक होंगे या नहीं। इस पर तो कोई ज्योतिषी ही टिप्पणी कर सकता है।
 
अपराधियों पर सख्य़ आयोग
सीईसी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका में दिए गए जवाब में हमने कहा था कि चुनावी व्यवस्था को स्वच्छ होना चाहिए। जो लोग दोषी करार दिए जा चुके हैं, उनके चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। सीईसी ने कहा कि हमने यह भी कहा कि अगर अदालत आरोप तय कर दे तो भी अपराधी चुनाव लड़ने से रोके जाएं।

धन का दुरुपयोग बढ़ा
सीईसी ने कहा कि चुनावों में लगातार धन का दुरुपयोग बढ़ रहा है। चुनाव आयोग ने कानून में प्रावधान नहीं होने की सूरत में अनुच्छेद-324 का प्रयोग किया, जहां धन का दुरुपयोग देखा वहां चुनाव रद्द किया। उन्होंने कहा कि सभी दलों के साथ भी 2017 में हुई बैठक में चर्चा हुई थी। चुनाव आयोग का यह प्रयास रहता है कि सभी हिस्सेदारों यानी राजनीतिक दलों के साथ बातचीत कर हल निकाला जाए।

 
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