अंतिम संस्कार के दौरान भाई ने मुन्ना बजरंगी के हत्यारों का किया खुलासा

प्रेमप्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी के चचेरे भाई राजेश सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा कि भाई की हत्या में प्रदेश सरकार और कुछ लोगों का हाथ है।अंतिम संस्कार के दौरान भाई ने मुन्ना बजरंगी के हत्यारों का किया खुलासा

मंगलवार को मुन्ना बजरंगी के अंतिम संस्कार के दौरान उसके चचेरे भाई राजेश ने कहा कि मुन्ना दो महीने में जेल से छूटने वाला था, इसी वजह से उसकी हत्या कराई गई है। घटना की सीबीआई जांच कराई जाए।

राजेश सिंह ने नाम लेते हुए कहा कि भाई की हत्या केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा, एमएलसी बृजेश सिंह, एमएलए सुशील सिंह व अलका राय, पूर्व सांसद धनंजय सिंह, रिटायर्ड सीओ जीएन सिंह, प्रदीप सिंह और प्रदेश सरकार ने कराई है।

साथ ही कहा कि हमारा परिवार कानूनी लड़ाई लड़कर मुन्ना की हत्या का बदला लेगा। परिवार की मुखिया भाभी सीमा सिंह हैं और वो अब जैसा कहेंगी वैसा ही किया जाएगा।

इससे पहले मुन्ना बजरंगी की शवयात्रा दर्जनों वाहनों के काफिले के साथ दोपहर 12:15 बजे के लगभग मैदागिन पहुंची। इससे पहले मणिकर्णिका घाट पर चिता तैयार कर ली गई थी। बजरंगी के शव के साथ आए लोग इस बीच घाट पर उसके नाम के जयकारे लगा रहे थे।

बजरंगी के 13 वर्षीय बेटे आकाश वीर सिंह उर्फ समीर ने मुखाग्नि दी। बजरंगी के भाई बुआल सिंह गुड्डू और राजेश सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार के बड़े नेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत से बागपत जेल में हत्या की गई है।

भाभी ने दस दिन पहले हत्या की आशंका जताते हुए सुरक्षा की गुहार लगाई थी लेकिन जानबूझकर ध्यान नहीं दिया गया। अंतिम संस्कार के दौरान मैदागिन से मणिकर्णिका घाट तक दो सीओ, छह थानेदार और पीएसी चप्पे-चप्पे पर तैनात रही। इस दौरान इलाकाई लोगों की भीड़ पर घाट और आसपास उमड़ी रही।

भाई के पास पिस्टल होती तो कोई उसे मार न पाता

राजेश सिंह ने कहा कि बागपत जिला कारागार के अंदर मुन्ना के द्वारा पिस्टल लेकर जाने की बात सरासर गलत है। जेल के अंदर जाने से पहले गेट पर मुन्ना की तलाशी ली गई थी। इसके बाद तनहाई बैरक में ले जाकर बंद कर दिया गया था।

साजिश के तहत जेल के अंदर पिस्टल पहुंचाई गई और मुन्ना की हत्या की गई। यदि मुन्ना के पास पिस्टल होती तो उसे कोई नहीं मार सकता था। वहीं, समर सिंह ने कहा कि मुन्ना ने ना जाने कितने लोगों की मदद की थी। मुन्ना के बढ़ते कद को देखते हुए विरोधी परेशान थे।

बजरंगी के अंतिम संस्कार के दौरान मणिकर्णिका घाट पर बनारस, जौनपुर और आसपास के जिलों के आपराधिक प्रवृत्ति के कई लोग, छुटभैये और ठेकेदार मौजूद रहे। इस दौरान क्राइम ब्रांच और एसटीएफ के जवान अंतिम संस्कार खत्म होने तक मणिकर्णिका घाट और आसपास मौजूद रहे।

शवयात्रा में शामिल लोगों का ब्यौरा जुटा कर क्राइम ब्रांच और एसटीएफ के जवान वापस लौट गए। वहीं, शवयात्रा में शामिल लोगों की आंखों में गम के साथ ही गुस्सा साफ दिखाई दे रहा था।

शव यात्रा में नहीं दिखे करीबी 

मुन्ना बजरंगी की शव यात्रा में हजारों की भीड़ थी लेकिन इस भीड़ में वे चेहरे नदारद थे जो उसका करीबी होने का दावा करते थे। अभी तीन साल पहले 20 मई 2015 को बजरंगी की मां की तेरहवीं में पूर्वांचल के कई जिलों, बिहार, झारखंड, एमपी, हरियाणा आदि प्रांतों से भी बड़ी संख्या में उसके करीबी पहुंचे थे। इसमें कई सफेदपोश भी थे।

मां की तेरहवीं के लिए मुन्ना बजरंगी चार दिन की पेरोल पर घर आया था। इस दौरान रोज उससे मिलने और शोक संवेदना जताने वालों की भीड़ लगती थी। मंगलवार को जब बजरंगी का शव आया तो तमाम लोग नदारद रहे। 

मुन्ना बजरंगी का चेहरा नहीं देख सके लोग 

माफिया डान मुन्ना बजरंगी की शव यात्रा में हजारों की भीड़ जरूर उमड़ी पर अंतिम समय में कोई बजरंगी का चेहरा नहीं देख सका। बागपत में पोस्टमार्टम के बाद शव को जिस हाल में सील कियी गया था उसी तरह पूरेदयाल कशेरू स्थित मुन्ना बजरंगी के आवास पर रखा गया।

इस दौरान घर और आस पास की कई महिलाएं व रिश्तेदारों ने भी चेहरा खोलवाना चाहा लेकिन चेहरा नहीं खोला गया। सफेद कपड़ा और ऊपर से पालिथीन में लिपटे शव को उसी हाल में दरवाजे पर रखा गया। ऊपर से ही लोग शव को देख सके।

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