बड़ा खुलासा: पेरोल में फरारी के दौरान सास और 2 सालों का किया था मर्डर, छह साल बाद सुनाई फांसी की सजा

पेरोल में फरारी के दौरान कानपुर के ग्वालटोली में सास और दो सालों की हत्या के दोषी जाकिर उर्फ राशिद को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। हत्या में साथ देने वाली पत्नी को भी उम्रकैद और एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई है।

मार्च-2013 में बहराइच के थाना प्रखरपुर के ग्राम रसूलपुर निवासी जाकिर पत्नी शकीला उर्फ बिट्टा के साथ कानपुर आया। उसने ग्वालटोली के मछलीवाला हाता स्थित मोहम्मद कामरान के चमड़ा कारखाने में चौकीदार की नौकरी कर ली। यहां उसने सबको अपना नाम राशिद बताया। पांच मार्च 2013 की रात को शकीला की 55 वर्षीय मां जैनब, 35 वर्षीय भाई इब्राहिम, 25 वर्षीय भाई हयाज और 3 वर्षीय भाई सद्दाम कारखाने पहुंचे। खाने के बाद जैनब ने राशिद से शकीला को अपने साथ वापस ले जाने की बात कही, लेकिन उसने इनकार कर दिया। इस पर जैनब ने राशिद को पहली पत्नी की हत्या में फरार मुल्जिम बताते हुए पुलिस को सूचना देने की धमकी दी। इससे गुस्साए राशिद ने कारखाने में रखी चमड़ा काटने वाली रापी से एक-एक कर जैनब, इब्राहिम और हयाज की गला काटकर हत्या कर दी।

जिस मासूम को रजाई में छिपाकर बचा लिया गया वही बना चश्मदीद गवाह
राशिद पर खून सवार देख शकीला ने मासूम सद्दाम को रजाई में छिपाकर बचा लिया। रातोंरात दोनों कारखाने में बाहर से ताला लगाकर फरार हो गए। सुबह मालिक मो. कामरान अपने मैनेजर आनंद प्रकाश के साथ कारखाने पहुंचे तो बाहर से ताला बंद था। दूसरी चाबी से ताला खोलकर अंदर घुसे तो होश फाख्ता हो गए।
खून से लथपथ तीन लाशें पड़ी थीं। वहीं रोने की आवाज सुनकर रजाई हटाई तो बदहवास हालत में सद्दाम बाहर निकला और राशिद द्वारा हत्या की बात बताई। मैनेजर ने ग्वालटोली थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी।  एडीजीसी राजेश्वर तिवारी ने बताया कि वारदात के तीन दिन बाद आठ मार्च को झकरकटी बस स्टेशन से राशिद और शकीला को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। मुकदमे में 13 गवाह पेश हुए, जिसमें से चश्मदीद सद्दाम की गवाही मुख्य रही। एडीजे-3 अजय कुमार श्रीवास्तव की कोर्ट ने जघन्यतम हत्याकांड के दोषी को फांसी और हत्याकांड में बराबर की शरीक रही उसकी पत्नी को उम्रकैद की सजा सुनाई।
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