क्या आप जानते हैं नहाना एक काम नहीं, बल्कि एक हैं थैरेपी

दुनिया के तमाम आलसी संघ के लोग रोजाना नहाने की क्रिया का विरोध जताते रहे हैं। ऐसे अलहदी लोगों का कहना है कि वो ऐसा काम ही नहीं करते हैं कि उन्हें रोज नहाना पड़े। हमारे पत्रकार रामभरोसे (काल्पनिक) ने लोगों से जानने की कोशिश की कि आखिर क्या वजह है कि लोग नहाने के नाम पर नाक मुंह सिकोड़ने लगते हैं। गली के बाहर चबूतरे पर बैठे छुट्टन चच्चा ने रामभरोसे के सवाल पर बड़ा सा मुंह खोलते हुए उबासी ली और कहा अम्मा यार, हम रोज नहाते हैं उ तो उस दिन तुम्हारी चच्ची बाहर टंगा कपड़ा उतारना भूल गईं थी। नहीं तो…. हम सुबह आंख खोलते बाद में हैं नहा पहिले लेते हैं। क्या आप जानते हैं नहाना एक काम नहीं, बल्कि एक हैं थैरेपी

तो वहीं अपने दफ्तर के लिए हड़बड़ाते और बड़बड़ाते हुए जाते बब्बन क्लर्क ने खीझते हुए कहा कि हमारे दफ्तर में इत्ता काम होता है… इत्ता काम होता है कि टैम ही नहीं मिलता है। पड़ोस की दुकान में अखबार पढ़ते हुए बेरोजगार बबलू ने पानी की लगातार होती कमी को न नहाने का कारण बताया है। और कहा है कि अब किसी को तो देश के लिए सोचना पड़ेगा। 

कुल मिलाकर रोजाना नहाने वालों की संख्या में लगातार गिरावट हो रही है, इससे चिंतित बुद्धिजीवियों ने एक खास तरह का जीरो ग्रैविटी बाथटब को तैयार किया है। इस टब को बहुत दिमाग लगाने के बाद इस तरह से डिजाइन किया गया है कि नहाने वाले को मजा आ जाए। थकान ऐसी छूमंतर हो जाए कि नहाने के बाद नए जन्म लेने वाली फीलिंग हो। 

बाथटब में उस तरह से लेटने की व्यवस्था की गई है कि जैसे एस्ट्रोनॉट अंतरिक्ष में अपनी मशीन में लेटते हैं। ये शरीर की सबसे आरामदायक अवस्था होती है। पानी का फ्लो उन जगहों पर होता है जहां आपका शरीर मुड़ता है। यानी की जोड़ो वाली जगह पर। इन जगहों पर पानी का फ्लो ऐसा रहता है कि लेटते ही थकान गायब हो जाती है। लेकिन एक दिक्कत है।  

क्या है दिक्कत

समस्या ये है कि इस बाथटब की कीमत जरूरत से ज्यादा है। 19 हजार डॉलर की कीमत वाले इस टब का निर्माण खास रइसों के लिए किया गया है। इसका वीडियो देखकर आप अंदाजा लगा लेंगे कि किस तरीके से नहाना भी दिखावे का मामला होने वाला है।

देखे विडियो:-

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