क्या आपको मालूम है.? ताश खेलने से ठीक होती है ये खतरनाक बीमारी

आपको सुनने में अजीब लग सकता है कि ताश खेलने से भी स्वास्थ्य लाभ मिलता है। जी हां, यह सच है कि ताश के पत्ते खेलने से सुडो डिमेंशिया जैसी बीमारी ठीक हो सकती है। 

यह बीमारी इन दिनों 35 वर्ष तक की आयु के लोगों में ज्यादा देखने को मिल रही है। इसके पीछे वजह युवाओं की मल्टी कार्यशैली है। अक्सर लोग फोन पर बात करते हुए कई कार्य एकसाथ करने लगते हैं। 

इसका प्रभाव यह होता है कि वे उस दौरान घटित चीजों को याद रखने में नाकामयाब होते हैं। उनके मस्तिष्क में वे यादें ज्यादा देर तक स्टोर नहीं हो पाती। ये कहना है अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ डॉ. विनीत सूरी का। बुधवार को विश्व अल्जाइमर दिवस था। 

डॉ विनीत सुरी ने कहा कि अक्सर लोग समझते हैं कि डिमेंशिया और अल्जाइमर एक ही हैं। लेकिन वास्तव में दोनों दोनों अलग होती हैं। अल्जाइमर डिमेंशिया का एक प्रकार है। 

डिमेंशिया में कई बीमारियां शामिल हैं जैसे अल्जाइमर रोग, फ्रंट टू टेंपोरल डीमेंशिया, वैस्कुलर डिमेंशिया आदि। डीमेंशिया के मरीजों को शुरुआती दौर में याददाश्त कमजोर होने लगती है और मरीज को रोजमर्रा के काम करने में परेशानी होने लगती है। 

जबकि अल्जाइमर के मरीज की देखभाल आसान नहीं, मरीज की देखभाल करने वाले परिजनों पर जहां एक ओर भावनात्मक दबाव रहता है वहीं इलाज में पैसे भी खर्च होते हैं। दरअसल, भारत में 4 मिलियन लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं, 

इसमें अल्जाइमर के मामले सबसे ज्यादा हैं। तकरीबन 1.6 मिलियन मरीज अल्जाइमर से पीड़ित हैं। डॉ. सूरी ने यह भी बताया कि कुछ समय से सुडो डिमेंशिया के मरीज ज्यादा देखने को मिल रहे हैं।

यह एक ऐसा रोग है, जिसमें मरीज पूरी तरह से डिमेंशिया ग्रस्त नहीं होता। जबकि उसके लक्षण जरूर दिखाई देते हैं। ऐसे मरीजों को दिनचर्या में बदलाव और सटीक उपचार से बचाया जा सकता है।       

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