अजा एकादशी के दिन ऐसे करे भगवान विष्णु की पूजा, हमेशा के लिए दूर हो जाएगे सारे दुख

सावन के महीने के खत्म होने के बाद भाद्रपद शुरू हो गया है। भाद्रपद के अष्टमी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। जन्माष्टमी के बाद भाद्रपद के कृष्ण पक्ष को एकादशी मनाया जाता है जिसे अजा एकादशी के नाम से जाना जाता है। अजा एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। कहते है इस दिन व्रत रखने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस व्रत को लेकर हरिश्चंद्र से जुडी एक कहानी भी है। कहते है इस दिन राजा हरिश्चंद्र को  व्रत रखने से उनके सारे कष्ट दूर हो गए, और उन्हें उनका खोया हुआ परिवार और राजपाठ वापिस मिल गया था। आज है अजा एकादशी का पर्व। यदि आप भी अपने कष्टों को दूर करना चाहते है तो आज जरूर रखे अजा एकादशी व्रत। ऐसे करे इस व्रत की पूजन विधि।

पूजन विधि:

अजा एकादशी व्रत को जो व्यक्ति इस व्रत को रखना चाहते हैं उन्हें दशमी तिथि को सात्विक भोजन करना चाहिए ताकि व्रत के दौरान मन शुद्ध रहे।

एकादशी के दिन सुबह सूर्योदय के समय स्नान ध्यान करके भगवान विष्णु के सामने घी का दीपक जलाकर, फलों तथा फूलों से भक्तिपूर्वक पूजा करनी चाहिए।

भगवान् की पूजा के बाद विष्णु सहस्त्रनाम या भगवान विष्णु  के मंत्रो का जाप करे, और एकादशी व्रत कथा पढ़े।

इस व्रत में रात्रि जागरण करने का बहुत महत्व है। रात्रि को मन्त्र जाप भी कर सकते है।

व्रती के लिए दिन में निराहार एवं निर्जल रहने का विधान है लेकिन शास्त्र यह भी कहता है कि बीमार और बच्चे फलाहार कर सकते हैं। गाय और बछड़े की पूजा कर सकते है और उन्हें गुड़ व घास भी खिला सकते है।

द्वादशी तिथि के दिन प्रातः ब्राह्मण को भोजन करवाने के बाद स्वयं भोजन करना चाहिए. यह ध्यान रखें कि द्वादशी के दिन बैंगन नहीं खाएं.

अजा एकादशी व्रत कथा: सतयुग में सूर्यवंशी चक्रवर्ती राजा हरीशचन्द्र थे। कहा जाता था कि वे बड़े सत्यवादी थे। एक बार उन्होंने अपने वचन की खातिर अपना पूरा राज्य राजऋषि विश्वामित्र को दान कर दिया। वहीं पत्नी एवं पुत्र को ही नहीं स्वयं तक को दास के रुप में एक चण्डाल को बेच दिया। अनेक कष्ट सहते हुए एक दिन वह बैठे थे कि ऋषि गौतम आ गए। उन्होंने उसे अजा एकादशी की महिमा सुनाते हुए यह व्रत करने के लिए कहा। राजा हरीश्चन्द्र ने इस व्रत को किया, जिसके प्रभाव से उन्हें उनका खोया हुआ राज्य प्राप्त हुआ वहीं सभी दुखों का अंत हुआ। 

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